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अखंड भारत एवम वैश्विक संकट की चुनौतियां

17 सितम्बर 2022

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अखंड भारत वास्तव में प्रेम सौहार्द शांति भाईचारे से स्थापित होगा ना कि हिंसा युद्ध सांप्रदायिक उन्माद की अंधी दौड़ में शामिल होने से।

विश्व आध्यात्मिक गुरु भारत की भूमिका आज भयाक्रांत  विश्व के लिए शांति दूत बनकर "वशुधेव कुटुम्बकम" को चरितार्थ करने "अहिंसा परमो धर्म "का संदेश समूचे विश्व में पुनः फैलाने की है।

वर्तमान वैश्विक घटनाक्रम एवम देशों के बीच आपस में शक्तिशाली बनने की होड़ युद्ध उन्माद शत्रुता के कारण मानवता खतरें में आ गई हैं । राष्ट्र हित में सावधान हो सजग होकर विश्व शांति सुरक्षा व्यवस्था बनाने में जुटना होगा । परमाणु शस्त्रों की प्रतिस्पर्धा को रोकना होगा। अन्यथा विश्व का विनाश निश्चित है।

धरती पर उपलब्ध प्राकृतिकसंसाधनों,ऊर्जा,खनिज व खाद्यान की कमी तेजी से बढ़ रही हैं। 

अर्थात् समूचे विश्व में जीवन अनुकूलन अनिश्चित होता जा रहा है। मानवीयता का पतन बढ़ता जा रहा है।घोर असुरक्षा व अस्तित्व को बचाए रखने की चुनौतियां दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही हैं।

विश्व के कई देशों में परस्पर  प्राकृतिक संसाधनों पर आधिपत्य स्थापित करने की होड़ मची हुई हैं।जिसके कारण उनके बीच शक्ति प्रदर्शन एवम आर्थिक साम्राज्यवादी सोच हावी होती जा रही हैं।

भविष्य की अनिश्चित प्रतिकूलता की आशंका के कारण देशों में भावी रणनीति संबंधित चुनौतियों और  रक्षा हितों में टकराव  के कारण शीत युद्ध के हालातों से बढ़ कर छदम लड़ाइयां अब भीषण युद्ध का रूप लेती चली जा रही हैं।


वर्तमान में विगत महीनों से जारी रूस यूक्रेन की विध्वंसक जंग के चलते दुनिया के विनाश की शुरुआत हो चुकी हैं।

तृतीय विश्व युद्ध के संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जैविक रासायनिक हथियारों सहित परमाणु बम के इस्तमाल की तैयारियां अपने चरम पर है।

ऐसे में पूरी दुनिया को केवल भारत ही नेतृत्व करके बचा सकता है। 

अखंड भारत की सांस्कृतिक विरासत को अनेकता में एकता की विशेषता के मूल मंत्र से विश्व आध्यात्मिक गुरु भारत की भूमिका आज भयाक्रांत  विश्व के लिए शांति दूत बनकर "वशुधेव कुटुम्बकम" को चरितार्थ करने "अहिंसा परमो धर्म "का संदेश समूचे विश्व में पुनः फैलाने की है।

पर्यावरण संरक्षण, मानवीय मूल्यों के रक्षण, वैश्विक समृद्धि की आध्यात्मिक शिक्षा देकर संयम योग संस्कृति समरसता सुनिश्चित करके ही

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अखंड भारत वास्तव में प्रेम सौहार्द शांति भाईचारे से स्थापित होगा ना कि हिंसा युद्ध उन्माद की अंधी दौड़ में शामिल होने से।

आज पूरी दुनिया भारत की ओर सत्य पक्षधर , सौहार्द संरक्षक, करुणा , दया ,दाता निष्पक्ष ,न्याय संगत नेतृत्वकारी राष्ट्र के रूप देख रही है। यही सही समय है कि हम आध्यात्मिक गुरु होने की अपनी असली भूमिका का निर्वाह करें।शांति स्थापना हेतु वैश्विक पहल एवम परस्पर शांति संवाद स्थापित करने में मध्यस्थ बनें।


विश्व को संकट से विनाश से बचाएं।आने वाली नई पीढ़ी को अहिंसा , शांति  एवम मानवता की रक्षा का मूल मंत्र देकर प्रेम बंधुत्व करुणा के महत्व को वशुधेव कुटुंबकम रूपेण सिद्ध कराएं।


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