हमें नहीं किसी मान सम्मान की तमन्ना है।
बस आदमी से इंसान बनने की तमन्ना है।
मैं वो नहीं जो तुम हो , तुम वो नहीं जो मैं हूँ !
हर शख्स अलग है दुनिया में, ये तो सब जानते हैं !
पर फिर भी सब दूसरों को अपने जैसा बनाना चाहते हैं !!
मैं पुरुष हूं....हां मुझ में पौरुष है ,
जब किसी के पौरुष से समाज कलंकित होता है तब मुझे पुरुष होने पर शर्मिंदगी होती है।
मैं आज के दिन को बेहतर स्त्री-पुरुष संबंध के द्वारा सुंदर संसार के निर्माण में लगाने का दृढ़ निश्चय करने के अवसर के रूप में लेता हूं।।
प्रियवर प्रीत राह पर हम-तुम साथी, गीत नया हम गाएँगे।
साथ अगर प्रियवर तुम हो तो, राग मधुर बरसाएँगे।।
शब्दों का अंतरा संग लें,भावों का हो पूर्ण समर्पण।
अपनी सुधियों की अंजलि भर कर दूँ प्रियवर तुमको अर्पण।।
मधुर प्रणय रस तुम्हें पिलाकर, हम तुम में खो जाएँगे।
साथ अगर प्रियवर तुम हो तो, राग मधुर बरसाएँगे।।
कुसुम-कुसुम पर भृमर घूमते, कलियों के रस-घट पी जाने।
हम प्रेमी हैं सुधा पिलाएँ, नयन झील से इसी बहाने।।
मन के उपवन में तब साथी, नव पल्लव सरसाएँगे।।
साथ अगर प्रियवर तुम हो तो, राग मधुर बरसाएँगे।।
प्यारा होगा जीवन सारा, हम साथी होंगे मतवाले।
मधुर मिलन की आस जगाकर, प्रियवर तुमने डोरे डाले।।
सात जन्म की एक जन्म में, तुमसे प्रीति निभाएंगे।
साथ अगर प्रियवर तुम हो तो, राग मधुर बिखराएँगे।।
🌹🌹नमो प्रकृति 🙏🌹🌹