इनकी तीन पुस्तकें "प्रहरी ", "राही चल" और 'वन्दे भारत' एजुक्रिएशन पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं।
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देख अम्बर मेघ फूलों के अधर लालीप्रेमरत मधुकर,मगन मकरंद, तरु- डाली,वल्लरी झूमे, पवन मुकुलित कली चूमेकर रही अरुणिम प्रभा रुत मत्त,मतवाली।जी उठी सरिता, सरोवर नीर छलकायेपीत-पट नित डाल दादुर गीत नव गाये,किंकिणी कटि बाँध सजन
अब तो हँसने में भी कोई गम छलक जाता है देखते हैं यह दर्द कहाँ तलक जाता है।