निःशुल्क
व्यक्ति ऐसा क्यों करता है ? किसी से मुहब्बत तो किसी से नफरत क्यों करता है ?जबकि हर इन्सान को ईश्वर ने बनया है ! फिर भी तू ऊंच नीच भेद भाव क्यों करता है ? ये किसी को ना मालूम की उसका धर्म और मझहब क्य
मैं शरण आई हूँ माँ , मैं शरण आई हूँ माँ । मुझकों तू दान में दे , विद्या कि पोटली माँ । ओ वाग्वादिनी माँ , ओ वाग्वादिनी माँ। तुम पर ही है भरोसा , तुम ही हो आसरा माँ । नफरत न हो किसी से , बस