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वाग्वादिनी माँ

7 नवम्बर 2022

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मैं शरण आई हूँ माँ , मैं शरण आई हूँ माँ ।

  मुझकों तू दान में दे , विद्या कि पोटली माँ । 

 ओ वाग्वादिनी माँ ,  ओ वाग्वादिनी माँ।  

तुम पर ही है भरोसा , तुम ही हो आसरा माँ ।

नफरत न हो किसी से , बस लक्ष्य प्रीति हो माँ । 

मन में रहे न छल ही , हमसे कपट न हो माँ ।  

हाथों से पाप हो न , ऐसा आशीष दो माँ ।  

ओ वाग्वादिनी माँ , ओ वाग्वादिनी माँ ।  

सब हो कुटुम्ब मेरा, परिवार साथ हो माँ ।  

जितने भी जन्म लूं मै , माँ बाप यही हो माँ ।  

सब आश में खड़े हैं , कल्याण तुम करो माँ । 

 ओ वाग्वादिनी माँ , ओ ...

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बहुत सुन्दर

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