आप जिन लोगो के बीच उठते बैठते हैं , आपकी चर्चा भी उसी तरह की होगी | आप चर्चा जैसी करेगें , वैसे ही आप के विचार बनेगे | आप के विचार ही आपकी मान्यताएं बन जाएगी और आप अपनी मान्यताओ के अनुसार अपनी योजनाएं बनायेगें | योजनाओ का क्रियान्वयन भी आप के विचारो के अनुरूप होगा | योजनाओ की सफलता या असफलता आप के ऊपर निर्भर है | गांधी जी ने कहा है - आपकी मान्यताएं आपका विचार बन जाती हैं ,आपके विचार आपके शब्द बन जाते हैं , आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं , आपके कार्य आपकी आदत बन जाते हैं , आपकी आदतें आपका मूल्य बन जाती हैं , आपके मूल्य आपकी नियति ( भाग्य ) बन जाते हैं |