कहीं भी , कैसे भी लोग अपनी असफलता का कारण नियति पर दाल कर छुट्टी ले लेते हैं , परन्तु आप विचार करें आपकी असफलता के लिए क्या नियति ही दोषी है | वास्तव में लोग कर्तब्यहीनता को नियति बताकर बचने की कोशिश करते हैं या अपनी अकर्मण्यता पर पर्दा डालने के लिए नियति का सहारा लेते हैं |
२ - आइये हम पूरे मनोयोग से और अपना सब कुछ लक्ष्य के लिए अर्पित करे अर्थात अपना १००% लगाकर कर्म करे तब हमें हमारी असफलता के लिए बहन नहीं ढूढ़ना पङेगा |