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नाम ही काफी है

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क्षणिक आनंद

18 जुलाई 2015
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किसी भी इमारत का-चाहे वह महल हो या मकान या झौंपड़ी-फर्श हो वह सीमेंट, मुजाइक,, संगममरमर, टाइल्स, पत्थर या मार्बल का हो सकता है जिसे देखने का शहरी आदमी आदी हो गया है और जिसकी वजह से लोग प्राकृतिक घास पर चलना ही भूल गये हैं। अगर कोई आदमी प्रकृति से दूर है तो वह इमारतों की चमक से अचंभित हो सकता है, खुश

avsaad

16 जुलाई 2015
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आज के जीवन में यह एक बड़ी समस्या बन गई है | इसके पीछे मुख्य कारन है - १) दिमाग का ज़्यादा चलना और शरीर का कम , २) एकाकी जीवन व्यतीत करना, ३) एक के बाद एक प्रयासों का असफल होना, ४) किसी दुर्घटना के कारन नकारात्मक सोच में पड जाना, ५) किसी नशे में पड़के अत्यधिक असामाजिक हो जाना, इत्यादि |

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