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एक तलाश

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शुभकामनाएं

19 अक्टूबर 2017
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जगमग जगमग दीप जले हैं,ज्योति पुंजों से महके जग है,अनंत उजियारा जीवन में,फिर क्यों अंधियारा अंर्तमन में,आओ मिलजुल दीप जलायें,भीतर का अंधियारा मिटायें ।#अल्फ़ाज़

हिन्दू

13 अक्टूबर 2017
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हिन्दू पर हो रहे अत्याचार,देखकर भी हिन्दू मौन है ।हिन्दुत्व रक्षक राजा है तो,ये अत्याचार करता कौन है ।जल रहा केरल जल रहा बंगाल है,गोधरा में जो जला वो हिन्दू कौन है ।कश्मीरी पंडित खो गये,रोहिंग्या पर सत्ता मेहरबान है ।मरता है कोई गैर तो अधर्म,हिन्दू कत्ल पर धर्मनिरपेक्षता मौन है ।#अल्फ़ाज़

व्यंग्य

30 सितम्बर 2017
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सोनिया बैठी छत परवाईट मारबल बिछाय,राजीव गांधी खेती करैलाल मिर्च उगाय,लाल मिर्च उगाय बोले चमचे बलिहारी,मैं कहूँ लाला अरविन्दइनकी मति गई है मारीखेती का नया तरीकाराहुल बाबा लाय,छोड़ धरती मैय्या कोदेखो फैक्ट्री में इसने आलू लिये बनाय,आलू लिये बनायबोले चमचे बलिहारी,मैं कहूँ लाला अरविन्दइनपै आफत अबकै भारी#

अल्फ़ाज़

18 सितम्बर 2017
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खुदा की यूं सूरत तलाश न कीजिये,जहां दिखे इश्क वहां सर झुका दीजिये.....कुछ तो वफ़ा कीजिये बन्दगी से अपनी,इश्क किया है तो उसका एहतराम कीजिये.....वो जो न मिले उस मोड़ पे तो गम नहीं मुझे,ये क्या कम है कि हर मोड़ उसके नाम कीजिये.....देखता सुनता हर शै वो सांस है मेरी,वो मैं है मेरा उसे हमनाम कीजिये......चलिय

समझ लेना

16 सितम्बर 2017
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अगर मैं ख़ामोशी बोलूं, तुम मनमोहन समझ लेना....मैं अगर निंदा बोलूं, तुम राजनाथ समझ लेना ....मैं बोलूं आरक्षण तो तुम मोदी समझना,बच्चों की गलती बोलूं तो मुलायम समझ लेना....आलू की फैक्ट्री बोलूं तो राहुल,नर मादा (नर्मदा) बोलूं तो सोनिया समझ लेना...नीतीश नीतीश बोलूं तो लालू और अगर मोदी मोदी तो केजरीवाल स

मुझे गर्व है

15 सितम्बर 2017
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मुझे गर्व हैमुझे गर्व है इस देश पर गर्व है देश की शासन परभ्रष्टाचारियों में अनुशासन परगर्व है अंधी बहरी सरकारों पर जातिगत अत्याचारों पर ।मुझे गर्व हैमुझे गर्व है इस देश परगर्व है देश के घोटाले परगर्व है आरक्षित नारों परलाशों पर होती राजनीति परगर्व नेताओं की देशभक्ति पर मुझे गर्व है मुझे गर्व है देश

देश

12 सितम्बर 2017
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झण्डे बदल गये हैं पर,बन्दे वही निकल रहे हैं ।हथकंडे बदल गये लेकिन,धंधे वही चल रहे हैं ।कुछ ने लूटा खामोशी से,कुछ भाषणों से निगल रहे हैं ।देश जल रहा है राजा का,और वो विदेशों में टहल रहे हैं ।#अल्फ़ाज़

प्रद्मुम्न

11 सितम्बर 2017
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काश,प्रद्मुम्न किसी पार्टी का वोटर होतातो वो सोनिया का भाषण होतामोदी की आंखों की नमी होताकाशप्रद्मुम्न किसी पार्टी का वोटर होताकाश कि वो ओवैसी का मुसलमान होताकाश वो अमित शाह का हिन्दू होतावो JNU का वामपंथी होताकाश कि वो देश नहीं एक चित्र होताकाशप्रद्मुम्न किसी पार्टी का वोटर होता#अल्फ़ाज़

कश्मकश

2 सितम्बर 2017
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वो साथ भी है क़रीब भी है,उसको देखें कि उससे बात करें.......क्यों अल्फ़ाज़ों में बांधें इश्क़ को,क्यों हम उनको नाराज़ करें..........चलो सिमट जायें उनके पहलू में,इस आगाज़ का कुछ अंजाम करें ।#अल्फ़ाज़

इश्क

1 सितम्बर 2017
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वो इश्क जो बंदिशों में घुट जाता है,वो जो बेखबर अल्फाजों में सिमट जाता है,वो इश्क कहां जो मिट जाता है......इश्कइश्क तो हवाओं मे बिखर जाता है,हर जर्रे मे महक जाता है,वो जो खुदा हो जाता है...#अल्फ़ाज़

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