खुदा की यूं सूरत तलाश न कीजिये,
जहां दिखे इश्क वहां सर झुका दीजिये.....
कुछ तो वफ़ा कीजिये बन्दगी से अपनी,
इश्क किया है तो उसका एहतराम कीजिये.....
वो जो न मिले उस मोड़ पे तो गम नहीं मुझे,
ये क्या कम है कि हर मोड़ उसके नाम कीजिये.....
देखता सुनता हर शै वो सांस है मेरी,
वो मैं है मेरा उसे हमनाम कीजिये......
चलिये पिरोकर देखते हैं उसे अल्फ़ाज़ में अपने,
माना मुश्किल है लेकिन दोस्त आगाज तो कीजिये......
कब तक चमकेंगे चांद औ सूरज आसमां के वर्क पर,
थक गये हैं जनाब कुछ देर आराम कीजिये.....
#अल्फ़ाज़