सच्ची स्वतंत्रता
स्वतंत्रता का अर्थ ‘ हर तरह की आजादी ‘ नहीं हो सकती | भोग-लिप्सा के लिए आजादी नहीं होती |सच्ची स्वतंत्रता बंधन के स्वयं- स्वीकार से जुडी हुई है , क्योकि बिना उक्त बंधन-स्वीकार के विकास नहीं हो सकता है |नदी यदि दोनों तटों के बंधन को स्वीकार ना करे तो वह कभी भी सागर में नहीं मिल सकती है , उल्टा विनाशक