shabd-logo

बदलाव

13 सितम्बर 2023

26 बार देखा गया 26

एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी सुमन का बचपन निडर, साहसी, खुलकर बात करने वाली, अपनी बात सबके सामने रखने वाली लड़की का बचपन है । सुमन को बचपन से ही इतना एक्सपोज़र मिला है कि उसे कभी यह
महसूस ही नहीं हुआ कि वह किसी से कम है । लेकिन जैसे ही वह बड़ी हुई सबकी सोच उसके प्रति बिल्कुल बदल जाती है । उसे हर समय यही कहा जाता कि तुम्हें शादी कर के अपने घर जाना है । हम तुम्हें अब ज्यादा दिन तक यहाँ बैठा कर नहीं रखेंगे । सुमन आगे और पढ़ना चाहती थी लेकिन उससे किसी को कोई मतलब नहीं था । सुमन के प्रति सबका व्यवहार ऐसा हो चुका था मानो सुमन अब सबके ऊपर बोझ हो । सुमन के पिता कहते – ‘शादी तो करनी ही है बेटी । हर लड़की को ब्याह कर अपने घर जाना पड़ता है । मुझे बस तुम्हारे लिए एक सुयोग्य वर ढूँढना है ।’ सुमन को समझ आ गया कि शादी की वजह से उसकी पढ़ाई बीच में ही रूक जाएगी ।

सुमन का मन बिल्कुल उदास हो जाता । वह हमेशा सोचा करती है कि लड़कियों को ही हमेशा क्यों संघर्ष करना पड़ता है ? क्या उन्हें एक अच्छा जीवन जीने का कोई हक नहीं है ? अब सुमन को ऐसा महसूस होता है जैसे कोई उसे समझने वाला नहीं है ।

सुमन के लिए कई रिश्ते आते हैं । एक रिश्ते पर बात जम भी गई थी । सुमन को भी लड़का पसंद था । सब बहुत खुश थे । सुमन ने अब अपने मन को मना लिया था कि शादी तो करनी ही है तो अब इसी लड़के से करूँगी । सुमन को भी अनुराग और उसकी बातें पसंद आईं । इसीलिए वह अनुराग से शादी करने के लिए तैयार हो जाती है । सुमन के माता-पिता लड़के के माता-पिता से मिलने जाते हैं । वहाँ सबकुछ बहुत अच्छा रहा लेकिन जब लड़के के घर वालों ने दहेज की बात की तो सुमन के माता-पिता का मन उदास हो गया । वे जानते थे कि लड़के वाले डिमांड करेंगे
लेकिन इतना ज्यादा इसकी उम्मीद उन्हें नहीं थी । खैर बात-चीत करके सुमन के माता – पिता वहाँ से चले आते हैं । उसके बाद हर कॉल में दहेज और तरह तरह के डिमांड्स की बातें होती । इसतरह कब तक बात आगे बढ़ती । इसलिए सुमन का रिश्ता टूट जाता है ।

धीरे – धीरे सब इस बात को भूल जाते हैं । सुमन के लिए इस बीच कई रिश्ते आते हैं लेकिन वह सबको मना कर देती । सुमन अब उदास रहने लगी थी । 

फिर एक दिन अनुराग का कॉल आता है – कैसी हो सुमन ? तुम्हारी बहुत याद आ रही थी । इसलिए सोचा बात कर लूँ ।

सुमन – अच्छा किया ।

कहकर उसके चेहरे पर एक अलग सी खुशी चमक उठती है ।

अनुराग – तुम  बिज़ी तो नहीं हो ?

सुमन – नहीं – नहीं ।

अनुराग – तुम्हें बुरा तो नहीं लगा मेरे कॉल करने से ?

सुमन – अरे ! बिल्कुल भी नहीं ।

अनुराग – और बताओ । तुम्हारी शादी कहीं फिक्स्ड हो गई ?

सुमन – नहीं तो ।

अनुराग – क्यों ?

सुमन – क्योंकि मैं नहीं चाहती कहीं शादी करना ।

अनुराग – ऐसा क्यों ?

सुमन – बस यूँही ।

अनुराग – मैंने भी कहीं हाँ नहीं कहा । मुझे तुम बहुत पसंद हो सुमन ।

(सुमन मंद – मंद मुस्कुराती है ।)

सुमन यदि तुम बुरा ना मानो तो एक बात पूछूँ ?

सुमन – पूछो ना ।

अनुराग – मुझसे शादी करोगी ?

सुमन – घर वाले नहीं मानेंगे ।

अनुराग – वह सब तुम मुझपर छोड़ दो । मैं सबको मना लूँगा । मैं बस तुम्हारी हाँ सुनना चाहता हूँ ।

सुमन – (कुछ कह ना पाने की मुद्रा में ) यदि सभी मान जाएँ तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है ।

उसके बाद सुमन की शादी अनुराग से हो जाती है । सुमन के पिता ने सुमन के लिए ढेर सारा सामान दिया ।  सुमन को उसके ससुराल में किसी चीज की कमी नहीं थी । इसके बावजूद भी सुमन को कभी नहीं महसूस होता कि वह उसका घर है । सभी सुमन के साथ ऐसा व्यवहार करते जैसे वह किसी दूसरे घर की हो । दूसरे घर की ही तो वह थी । लेकिन अब वह इस घर में ब्याह कर आई थी । वह भी सोचती आखिर कौन-सा घर मेरा है । यहाँ तो अब मुझे जीवन भर रहना है । फिर भी क्यों मुझे वह अपनापन नहीं लगता जो माता - पिता के घर लगता था । सुमन पर्दा प्रथा की विरुद्ध थी । उसे घर में पर्दा यानि पल्लू करने के लिए कहा जाता । दिन-भर उसके ससुराल में कोई न कोई आ ही जाता । उन सबके लिए खाना बनाना जैसे सुमन के ही जिम्मे लग जाता । सुमन की शादी की बात करने जब उसके माता – पिता गए थे तो उसके ससुराल वालों ने खाना बनाने के लिए एक रसोइया रखा था । इसलिए उन्हें लगा कि जब ज्यादा लोग आते होंगे तो इस रसोइया को बुलाया जाता होगा । सुमन के माता – पिता को सुमन के बारे में बहुत अच्छी तरह पता था कि सुमन 2-4 लोगों से ज्यादा के लोगों का खाना बना भी नहीं पाएगी । शादी से पहले सुमन भी अपने ससुराल वालों को बता चुकी थी कि उसे खाना बनाने नहीं आता है । इसके बावजूद भी सुमन को दिन – भर किचन में रहना पड़ता । अब ज़ाहिर सी बात है जिस लड़की को शादी से पहले खाना तक बनाने नहीं आता था, उससे अचानक इतना खाना बनाने की उम्मीद करना बहुत गलत है । खैर, सुमन ने इसकी धीरे – धीरे आदत डाल ही ली ।

सुमन अपनी पढ़ाई आगे कंटिन्यू करना चाहती थी । इसके लिए उसे अपने पति और ससुराल वालों की इजाजत लेनी होती । उसे लगा अनुराग को बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा । शादी से पहले उसने अनुराग को सबकुछ बताया था । तब अनुराग ने कुछ भी नहीं कहा था । यही सोच कर उसने एम.बी.ए के लिए तैयारी शुरु कर दी । उसने कैट की परीक्षा भी दी । उसका सिलेक्शन एक बहुत बड़ी कम्पनी में हो गया । यह बात जब वह अनुराग को बताती है तो वह काफी नाराज हो जाता है । अनुराग को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता कि उसकी पत्नी उससे बड़ी कम्पनी में काम करे । सुमन की सैलरी भी अनुराग से बहुत ज्यादा थी । इस बात की भी नाराज़गी अनुराग को थी । अनुराग ने सुमन को साफ मना कर दिया कि उसे जॉब करने की कोई जरुरत नहीं । उस दिन सुमन और अनुराग की काफी लड़ाई भी हुई । अनुराग ने सुमन को कहा कि उसने जॉब अप्लाई करने से पहले उससे क्यों नहीं पूछा ।

सुमन अत्यंत स्वाभिमानी थी । उसकी नज़र में लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं होनी चाहिए । फिर क्यों लड़कियों को ही हमेशा पुरुष से दब कर रहना पड़ता है । आज पुरुष और स्त्री दोनों बराबर की पढ़ाई कर रहे हैं तो क्यों केवल पुरुषों को ही अपना फैसला लेने का हक होता है ? स्त्रियाँ अपना कोई भी फैसला खुद क्यों नहीं ले सकती हैं । उन्हें हर चीज पुरुषों से पूछ कर क्यों करना पड़ता है ? क्यों इस समाज में आज भी पुरूषों को ही स्त्रियों की देखभाल करने वाला अभिभावक के रूप में समझा जाता है । सुमन के मन में इस तरह के कई सवाल उठ रहे थे ।

सुमन ने फैसला लिया कि वह इस तरह हार नहीं मानेगी । वह जान चुकी थी कि उसे अपने लिए खुद खड़ा होना पड़ेगा । उसे पता था कि ससुराल वाले कभी उसका साथ नहीं देंगे । अनुराग तो इस बारे में बात करने के लिए भी तैयार नहीं था । सुमन अपने आप को बहुत ही लाचार महसूस कर रही थी । सुमन सोचती है या कि वह जब अनुराग से किसी भी मामले में कम नहीं है तो क्यों सब उसके काम करने के विरूद्ध हैं । सिर्फ इसलिए कि वह अनुराग से ज्यादा काबिल है ।

एकदिन सुमन ने सोचा मैं घर से तो काम कर ही सकती हूँ । उसने इस बारे में अनुराग से भी बात की । अनुराग को इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी । अनुराग ने सोचा कोई भी बड़ी कम्पनी घर से काम करने वालों को उतना महत्त्व नहीं देती । उसे लगा सुमन को कोई छोटी – मोटी कम्पनी में नौकरी मिल जाएगी जो काफी कम सैलरी में उसे नियुक्त्त कर लेंगे । अगले दिन सुमन ने अलग – अलग कम्पनी में इंटर्व्यू दिया और एक बहुत बड़ी कम्पनी में उसका चयन हो गया । उसने पहले से ही एच आर को कह रखा था कि उसके लिए बाहर जाकर काम करना मुश्किल है । इसलिए कम्पनी ने उसे घर से काम करने की इजाजत दे दी । अब सुमन घर से ही काम करती थी । वह सुबह घर के सारे काम निपटा लेती और अनुराग भी जल्द ऑफिस निकल जाता था । उसके बाद सुमन के पास पूरा समय रहता ।

देखते – देखते 2 साल बीत गए । एकदिन सुबह – सुबह सुमन खाना बना रही थी । तब अनुराग ने उससे कहा – ‘सुमन मेरी नौकरी चली गई है । अब हमें बहुत ही कम खर्च करने होंगे ।’ यह कहते ही अनुराग जैसे टूट सा गया । वह फूट – फूट कर सुमन के पास रोने लगता है । सुमन इस बात को सुनते ही चौंक जाती है । वह धीरे से अनुराग का हाथ पकड़ती है और उसे लिविंग रूम की तरफ लेकर आती है । उसे पानी पिलाती है । अनुराग पूछता है ‘जब तक मुझे कोई नौकरी नहीं मिलती क्या तुम घर चला सकती हो ?’ उसकी आँखों में शर्मीन्दगी थी । वह कहता है ‘मुझे पता है तुम्हारी सैलरी बहुत कम है लेकिन जितनी भी है हम चला लेंगे ।’ सुमन उसका हाथ थामती है और कहती है ‘तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं सब कुछ सम्भाल लूँगी ।’ मेरी सैलरी इतनी है कि हमें किसी भी चीज की कमी नहीं होगी । तुम्हें जल्दी ही नौकरी मिल जाएगी । तुम चिंता मत करो । यह सुनकर अनुराग को अपनी गलती का अहसास होता है और वह काफी लज्जित भी होता है । वह सुमन से माफी माँगता है । उसे यह अहसास होता है कि वह कितना गलत था ।  एक स्त्री किसी भी मामले में पुरुष से कम नहीं होती । वह घर और बाहर दोनों काम बहुत ही अच्छे से सम्भाल सकती है । इतने दिनों से सुमन रोज अनुराग के लिए खाना बनाती और उसे ऑफिस भेजती थी । फिर अपने ऑफिस का काम भी करती थी ।

अनुराग यह समझ चुका था कि स्त्री और पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं । एक के बिना दूसरे का बिल्कुल भी काम नहीं चलता है । हमारे समाज के कुछ पुरुष आज भी इस बात को नहीं समझते हैं । कहने के लिए तो वह कह देते हैं कि हम अपनी पत्नी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने में विश्वास रखते हैं, लेकिन यदि स्त्री एक कदम भी आगे बढ़ जाए, तो पुरुष जाति को यह जरा भी अच्छा नहीं लगता है । समानता केवल पुरुषों को तब तक ही अच्छी लगती है,  जब तक स्त्री उसके साथ चले । उसके आगे ना रहे ।

अनुराग को जल्द ही एक बड़ी कम्पनी में नौकरी लग जाती है । अब सुमन भी ऑफिस जाती है । सुबह अनुराग और सुमन साथ ही ऑफिस निकलते हैं । उन दोनों ने तय किया है सुबह का खाना सुमन बनाएगी और शाम का खाना अनुराग । अनुराग ऑफिस से पहले आ जाता है । इसलिए आते ही पहले झटपट खाना बना लेता है । अनुराग अब बिल्कुल बदल गया है । उसका मानना है कि जब पति – पत्नी दोनों काम करते हैं तो केवल पत्नी ही क्यों
खाना अकेले बनाए । सुमन को अनुराग में यह बदलाव बहुत अच्छा लगता है ।

बदलाव ********

डॉ. नंदिनी चौबे की अन्य किताबें

किताब पढ़िए