14 अप्रैल 2015
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गागर में सागर- शुभकामनाएं
अजनबी बन जाता हूँ, मैं अपने शहर में जब पूछते हैं सब तुम्हारा नाम क्या है
बंध गया हूँ खुद मैं अपनी, बन्धनों में इस कदर थी गलतफहमी की, मेरी सोच अब आजाद है।
२२ अप्रैल को दिल्ली में आदरणीय अरविन्द केजरीवाल जी कि सभा में जो कुछ भी हुआ, उससे पूरा देश भले ही व्यथित हो लेकिन हमारे राजनेता इसमें भी राजनीति कर रहे हैं, जो अत्यंत ही शर्मनाक हैं I ये शायद हमको भी और हमारे राजनेता को भी पता हैं कि हम भारतियों कि याददा
तुम मुस्कुरा के भी जान मांग सकती थी मेरा तुम्हारा कहलाना बेवफा, इसके लिये जरूरी नही था