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बंधन

14 अप्रैल 2015

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बंध गया हूँ खुद मैं अपनी, बन्धनों में इस कदर थी गलतफहमी की, मेरी सोच अब आजाद है।
विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

गागर में सागर- शुभकामनाएं

14 अप्रैल 2015

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