🌹यह पौराणिक कथानको पर आधारित कथा है ,🌹
🌹🙏भक्त शिरोमणि सेवाजी🙏🌹
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प्रभु श्री कृष्ण जी के बहुत सारे अनंत भक्त हैं ,,पर हम आज यहाँ उनके एक परम प्रिय अद्वितीय भक्त सेवाजी की अदभुत भक्ती के बारे में बताने जा रहे हैं। जिनकी संतो की सेवा में बड़ी ही निष्ठा थी।
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सेवाजी के घर पर अधिकतर संतों का आना जाना लगा रहता था ,!!
संत समाज में सेवाज़ी की बड़ी प्रतिष्ठा थी,!!
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लोग कहते थे की सही प्रकार से संतो का आदर सम्मान कोई करता है तो वह भक्त शिरोमणि सेवाजी ही हैं ,!!
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🌹 संत समझने उनका मान तो था ही सभी संत लोग ऊनका आदर भी करते थे।
पर कहते हैं हर प्रतिष्ठित व्यक्ति, को देखकर कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो उन से बड़ी ईर्ष्या भाव रखते हैं, ऐसा ही सेवजी के साथ भी हुआ,!!🌹
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एक दिन भक्त सेवाजी के घर पर एक महापुरुष आए, भक्त शिरोमणि सेवाजी की साधुसंतो के प्रति सेवा भाव , मानसम्मान, और आदर करने के भाव को देखकर वह महापुरूष अत्यधिक प्रसन्न हुए !!
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महापुरुष जाते समय सेवाजी के सेवा भाव से प्रसन्न होकर उन्हें ऐसा वरदान देकर गए , जिस से सेवाजी के पास कभी ना धन की कमी हो और ना कभी अन्न की कमी हो ,!!
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भक्त शिरोमणि सेवाजी ने भी अपने जीवन में ऐसा नियम बना लिया था कि जब तक वह किसी संत को भोजन ना करा देंते थे वह स्वयं भी भोजन नहीं करते थे!!
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एक बार उनके मान सम्मान से दाह रखने वाले लोगों ने के राजा से इनकी आलोचना कर दी*"!!
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वह राजा भी दुष्ट और नास्तिक था, उसे स्वयं तो कुछ ज्ञान था नहीं!!
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उस मुर्ख ने संतो से दाह रखने वालों की बातें सुनकर और उनकी बातों को सच मानकर भक्त सेवाजी को कारागृह में डाल दिया ,!!
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भक्त सेवाजी को कारागृह में रहने की चिंता तो नहीं थी, पर उनके मन में एक ही विचार आ रहा था , कि यदि उनके घर पर उनके न रहने पर कोई संत पुरुष आएंगे तो उनकी सेवा कौन करेगा?
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उन संत पुरुषो को प्रसाद कैसे मिलेगा ? संत महात्मा बिना प्रसाद लिए मेरे घर से चले ना जायें, ऐसा सोचकर उनकी आंखों में आंसु आने लगा,!!
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उसी समय एक व्यक्ति ने आकर भक्त सेवाजी को बताया कि ,*"सेवाजी, आज तो आपके घर पर बहुत बड़े संत महात्मा आए हैं, आपकी धर्मपत्नी और आपके पुत्र पूरे मन से उनकी सेवा कर रहे हैं ,!!
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किंतु उन्होंने आपके बारे में पूछा कि भक्त सेवा जी कहां है ?
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यह सुनते ही सेवाजी बेचैन हो उठते हैं , उन्होंने आंखें बंद करके भगवान कृष्ण को त्याद कर कहा..*"हे भगवन !! काश मैं इस कारागृह से निकल पाता , काश मेरे पंख लग जाते तो मैं घर जाकर उन संतों की सेवा कर पाता ,!!
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भगवान से अपने परम भक्त का इस प्रकार विचलित होते देखा नहीं गया और जेल में एक अद्भुत चमत्कार हुआ।
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भक्त सेवाजी के सारे बंधन अपने आप खुल गए ,!! उनके हाथों की जंजीर अपने आप टूट गई !! जेल के फाटक स्वतः खुल गए ,!! जितने भी सिपाही कारागार का ध्यान रख रहे थे उन्हें भी घोर निंद्रा ने घेर लिया ,"!!!
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भक्त सेवाजी विचार करने लगे -- यह तो प्रभु की कृपा हुई है,!! जो मुझे अकस्मात इस कारागृह से मुक्ति मिली , ऐसा विचार कर वह अपने घर पर पहुंच गये। घर पहुंच कर उन्होंने उन संतों की खून मनोभाव से सेवा की ,!!
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संत जी उनसे पूछने लगे -- भक्त सेवाजी तुम्हें तो कारागृह में बंद किया गया था। वहां से मुक्त कैसे हुए और इस रात्रि में आप अपने घर कैसे पहुंचे !! ?
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भक्त सेवाजी कर जोड़ कहने लगे -- आप संतों की कृपा है, प्रभु के महात्म से ही मेरे सारे बंधन खुल गये और कारागृह के द्वार भी खुल गए ,प्रभु की कृपा से मैं आपकी सेवा में उपस्थित हो पाया हूं🙏"!!
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संत जी प्रसन्न हो उठे और उन्होंने कहा --" तुम्हारे ऊपर ऐसी भगवद कृपा सदा ही बनी रहे ,*"!!
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 कारागृह के कर्मचारी दूसरे दिन प्रातः काल भागते हुए राजा के पास गए और कहने लगे --*" कल वो सेवाजी पता नही कैसे कारागृह के सारे बंधन तोड़ कर घर चले गये हैं। हमें आदेश दीजिए, हम उन्हे पुनः पकड़ कर ले आएं ,*"!!
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राजा ने क्रोधित हो आदेश दिया -- जल्दी से जाकर उस निकृष्ट को बांधकर ले आओ और में पुनः कारागृह में बंद कर दो।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 राजा के सिपाही भक्त शिरोमणि सेवाजी के घर गए!!!
राजा के सिपाही जैसे ही भक्त सेवाजी को बेड़ियां लगाने लगे!!
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उसी क्षण भगवद कृपा से सेवाजी के देह से ऐसा प्रकाश निकला कि सभी सिपाही वहीं पर गिर कर बेहोश गए!!!
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सभी लोग देखकर हैरान हो गए। यह कैसी भगवान की लीला है ? सेवाजी को हाथ लगाते ही यह सभी सैनिक बेहोश हो गए।
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उस राजा को जब यह सूचना लगी तो उसे ऐसा लगा कि -- भक्त सेवाजी कोई चमत्कार कर रहे है,!! सेवाजी कोई मायाजाल जानते हैं !! उसे लगा सेवाजी मायावी है,!!
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यह बात सोचकर उस मुर्ख राजा को और क्रोध आ गया।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 उसने क्रोधित हो आदेश जारी कर दिया --*" शीघ्र से शीघ्र उस मायावी सेवाजी को मेरे पास लाकर मेरे समक्ष फांसी पर चढ़ा दिया जाए, मैं भी देखूं वह कितना बड़ा मायावी है !!!
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राजा के आदेश पर कुछ लोग भक्त सेवाजी को पकड़कर राजा के समक्ष लेकर आए।
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राजा ने भक्त सेवाजी को देख कर कहा --*" बड़े मायावी हो ,बहुत माया जानते हो, हमारे कारागृह से सारे बंधन तोड़कर तुम घर भाग गए*"!!
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भक्त सेवाजी मुस्कराकर कहने लगे -- राजन ! मैं कोई माया वाया नहीं जानता हूं, अथवा ना ही मैं कोई जादूगर हूं। यह तो मेरे बंधन, मेरे प्रभु कृष्ण ने खोले थे।
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राजा क्रोधित होकर कहने लगा -- *" अच्छा तो मैं भी देखता हूं, तुम्हारे प्रभु तुम्है कैसे बचाएगा ,*!!
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राजा ने सैनिकों को आदेश दिया -- शीघ्र से शीघ्र ही दो जल्लादों को बुलाया जाए एवं अभी के अभी मेरे समक्ष तलवार से इसकी गर्दन धड़ से अलग किया जाये!!
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राजा का आदेश मिलते ही दो जल्लाद आ गए!! उनके हाथों में बड़ी धारदार तलवारें थी "!!
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दोनों जल्लाद भक्त सेवाजी को देख हंसते हुए कहने लगे --*" आज बहुत दिनों बाद हमें किसी का वध करने का अवसर मिला है*"!!
दोनो ने भक्तजी को रस्सी से बांध दिया,!!
उन जल्लादो को अपनी कला दिखाने का अवसर प्राप्त हुआ था ,!!
दोनों जल्लाद हंसते हुए जैसे ही तलवार ऊपर उठाकर भक्त सेवाजी पर वार करने वाले थे, तभी प्रभु की लीला से उन दोनों जल्लादों के हाथ ऊपर के ऊपर ही जड़ से हो गए"!!!
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दोनो ही जल्लाद बड़ा प्रयास करने लगे हाथों को नीचे करने का पर वह दोनों अपने हाथ हिला ही नहीं सके !!
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ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने जड़ मूर्ति बना दिया हो, उसमें केवल प्राण डालना बाकी हो!!!
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उनके शरीर तो यथास्थिति रहे पर उनकी प्राण क्रिया रुक गई थी !!
हाथ ऊपर के ऊपर ही रह गए,!!
हाथों की तलवारें अपने आप फिसलकर नीचे गिर गई थी ,!!
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सभी लोग यह देखकर आश्चर्य चकित हो गए जेड!!? इन जल्लादों को क्या हुआ ? यह क्या हो रहा है ? यह तो भक्त सेवाजी को मारने वाले थे!!
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यह देख राजा के तो होश उड़ गए , राजा ने भी विचार किया, यह कोई माया वाया नहीं है ,यह तो प्रभु की कृपा ही हो सकती है !!!
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 राजा घबरा गया उसे लगने लगा की उसने तो घोर अपराध कर दिया ,वह अपने सिंहासन से उठकर, भक्त शिरोमणि सेवाजी के चरणों में गिरकर कहने लगा *" ही भक्त शिरोमणि सेवाजी हमे क्षमा करें , हमें क्षमा करें!!
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प्रभू कृष्ण के भक्त सेवाजी ने राजा को उठाकर गले से लगा लिया और कहने लगे -- हे , राजन,! तुम्हारा कोई अपराध नहीं है। तुम तो अपने बुद्धि बल से चलते ही नहीं हो, तुम्हारे गुरुजी ने भी तुम्हें कई बार समझाया भी था कि संतो की सेवा किया करो पर तुम्हारी संत सेवा में कभी रुचि नहीं रही , प्रभु के प्रति तुम्हारी कोई आस्था ही नहीं है,!!
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इसी लिए प्रभु कृष्ण ने कृपा कर तुम्हें यह लीला दिखाई है। आज के बाद किसी संत को कष्ट नहीं देना ,सभी संतों की सेवा करना।
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🙏 यह सुन राजा दोनो कर जोड़कर🙏 कहता कहने लगा --- हे भक्त शिरोमणि !! हमे क्षमा करे ! आज के बाद में किसी भी संत को कष्ट नहीं दूंगा और न ही विरोध करूंगा, बल्कि अपने राज्य में एक भव्य मंदिर का निर्माण भी करवाऊंगा ,
राजा की बातें सुनकर भक्तराज सेवाजी, राजा को आशीर्वाद दे अपने घर लौट आए।
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🌹 राजा का मन उन्हे धिक्कारने लगा वह विचार करने लगे --- मैंने अकारण ही इन संतों से को कष्ट दिया ,मुझे जिन लोगों ने इन संतो के बारे में अनुचित बाते कह कर उकसाया है अब तो मैं उन्हें सजा दूंगा।
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राजन ने अपने सैनिकों को आज्ञा दिया --- जो लोग संतों से ईर्ष्या भाव रखते हैं, जिन्होंने दुष्टता वश सेवाजी की आलोचना की थी, उन्हें मेरे पास पकड़ कर लाया जाऐ।
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राजा के आज्ञा से सभी सैनिक निकल गए और उन सभी को पकड़ ले जो सेवा जी के विरोध में थे ,!!
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राजा ने आदेश दिया --- इसी समय इन् सभी को मृत्यु दंड दिया जाए।
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🌹राजा ने जैसे ही इस प्रकार का आदेश दिया , तभी सेवाजी पुनः राजा जी के पास लौट आए और कहने लगे --- राजन् यह क्या कर रहे हो ?🌹
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🌹राजा कहने लगा -- है भक्त शिरोमणि ! इन्होंने दुष्टता वश तुम्हें कष्ट दिया है। इनके कारण ही मैंने तुम्हें जेल में बंद कर दिया था। अभी मैं इनकी लीला समाप्त किए देता हूं।🌹
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🌹सेवा जी कहने लगे - इस प्रकार के अनुचित कार्य करने की क्या आवश्यकता है? इन्हें तो भगवान अपने समय पर स्वयं ही दंड दे देंगे। तुम मेरे आदेश से इन्हें क्षमा कर दो।🌹
🌹🙏भक्त शिरोमणि सेवाजी ने उन दुष्ट लोगों के लिए क्षमा दान मांगा। तब वह ईर्ष्या से भ्रमित लोग अपने प्राणों का दान प्राप्त कर सेवा जी के चरणों में गिर गए और कहने लगे... 🌹
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🌹🙏 हे भक्त शिरोमणि सेवाजी ! हमें क्षमा कर दो। अज्ञान बस हमने आपसे भेदभाव रखा है। हमें क्षमा कर दो।
🌹सेवाजी कहने लगे --- इस पाप से छुटकारा तो तुम्हें तब ही मिल पाएगा जब तुम सहृदय से प्रभु कृष्ण की सेवा करोगे, संतों की सेवा करोगे।🌹
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🌹ऐसा सुनकर वह सब कहने लगे--- हे महात्मा! हम आपकी आज्ञा अनुसार अपने जीवन को चलाएंगे। 🌹
🌹इस प्रकार अब तो सारा गांव भक्ति भाव में रम गया।🌹
🌹वह राजा जो कभी ईश्वर को मानता नहीं था। उस राजा ने अपने राज्य में श्री कृष्ण का मंदिर बनवा दिया। 🌹
🌹जो ईर्ष्यालू लोग संतो को देखना नही चाहते थे अब तो वह भी उनकी की सेवा करने लगे।🌹
🌹बहुत अद्भुत होता है भक्तों और संतो का संग, जो उनकी शरण में आ जाए वह उनको भी भगवत भक्त बना देते हैं। 🌹
🌹भक्त सेवाजी जैसे संतपुरुष तो अन्य साधारण लोगों को भी अपने जैसा भगवत भक्त बना देते हैं और ऐसे पावन भक्तों का ध्यान तो भगवान रखते हैं। 🌹
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🌹तभी तो भक्त सेवाजी के बंधनों को श्री कृष्ण ने तोड़ दिया। जब भक्त के ऊपर आपदा आयी तो प्रभु कृष्ण ने उन जल्लादों के हाथ ऊपर ही स्तंभित कर दिये।
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🌹ऐसे भगवन जो हर क्षण भक्तों के तारणहार बन जाते हैं ऐसे प्रभु श्री कृष्ण के चरणों में हम सादर प्रणाम करते है।🌹
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