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बहस के बहाने

6 फरवरी 2015

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featured imageराम -राम भईया बड़ी भगदड़ मची है दिल्ली के चुनाव में. हर कोई सत्ता के लिए ऐसे लड़ रहा है जैसे लड़ाई होने जा रही हो. हर कोई इस युद्ध में अपनी शिरकत अपने अपने तरीके से कर रहा है. हर किसी के तरकश में तीरो की कमी नहीं है पर भाई इस तरह से चुनाव लड़ना भी किसी को सोभा नहीं देता. अश्लील बाते , भद्दी भाषा ,ओछे आरोप ये सब कर के क्या जताना चाहते है . अच्छा बाजार का प्रभाव यहाँ पर भी दिख रहा है , हर कोई इस बाजार में अपनी मार्केटिंग कर मुनाफा कामना चाहता है. सब ज्यादा खुश तो ये चॅनेल वाले भैया हैं . गजब की हैडिंग बनाते है " दिल्ली का दंगल " लगता है की कोई कुस्ती का आयोजन है. अच्छा कल एक बच्चा मुझसे पूछ रहा था की "अंकल, क्या महाभारत होने वाली है ", तो मैंने कहा" नहीं तो , क्यों पूछ रहे हो " तो उसने बड़ी ही मासूमियत से जवाब दिया "वो टीवी पर न्यूज़ वाले अंकल बोल रहे थे रात ९ बजे जरूर देखिए दिल्ली की महाभारत" . . मजेदार बात ये है की नेता लोग भी जिनकी पूँछ काम हो गयी है वो भी सज-धज के बैठ जाते है की कोई चानेल वाला तो जरूर बुला लेगा. अच्छा सोचिये की दो नेताओ की बीवियां कैसे बात करती होंगी पहले नेता की बीवी फ़ोन पर " जानती हो आज रात को मेरे पति प्राइम टाइम पर आएंगे वो दिल्ली चुनाव पर बहस को बुलाया है" तो दूसरी उधर से जवाब देती होगी " ह. अ.अ.अ.म ...... मेरे वो तो कल रात को ही बहस में बैठे थे देखा नहीं आज का न्यूज़ पेपर उनका ही स्टेटमेंट छपा है " और दूसरी और एक नेता जी की वाइफ अपने पति से नाराज होकर बोल रही हो की " सुनिए जी आप से कह देती हूँ agar इस बार आपका कोई चैनल पर बुलावा नहीं आया तो मै मायके चली जाउंगी ." एक मेरे मित्र है न्यूज़ चैनल में काम करते है बता रहे थे की चुनाव आते ही कई सारे नेता लोग चैनल से संपर्क कर के अपना अपना टाइम सेट करने की जुगाड़ में रहते है. अच्छा कई छुटभैया नेता लोग तो लोकल चैनल पर ही बहस को चालु हो जाते है और बाद मे उसकी रिकॉर्डिंग भी सेव कर लेते हैं. हास्यास्पद दृस्य तो वो होता है की दिल्ली से ७०० किलोमीटर दूर किसी लोकल चैनल पर ३-४ लोकल नेता जी लोकल चैनल पर दिल्ली के चुनाव पर घमासान बहस कर रहे होते हैं न मुद्दो का पता न समस्या का बस बहस जारी होनी चाइये . खैर आप सब लोग भी दिल्ली चुनाव की बहस पर नज़ारे टिकाये रखियेगा कोई न कोई कॉमेडी सीन मिल ही जायेगा. अब आप लोगो से विदा लेता हूँ. राम-राम
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बहस के बहाने

6 फरवरी 2015
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राम -राम भईया बड़ी भगदड़ मची है दिल्ली के चुनाव में. हर कोई सत्ता के लिए ऐसे लड़ रहा है जैसे लड़ाई होने जा रही हो. हर कोई इस युद्ध में अपनी शिरकत अपने अपने तरीके से कर रहा है. हर किसी के तरकश में तीरो की कमी नहीं है पर भाई इस तरह से चुनाव लड़ना भी किसी को सोभा नहीं देता. अश्लील बाते , भद्दी भाषा

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तन्हाई

12 अक्टूबर 2015
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दरवाजे पर अक्सर होती है दस्तकपर नहीं दिखता है कोई बाहरयूँ तो कटी है तमाम उम्रहमने तन्हाई में ,पर न जाने क्यूँअब तनहाइयों से डर लगता हैअक्सर सर्द रातों में सोंचता हूँकोई होता तो बाँट लेता इन ठंडी रातों को,और ओढ़ लेता जिस्म को बना चादरशायद वो ,जो याद दिलाताकी घर जल्दी आना .बनायीं हुई एक प्याली चाय सेउ

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