shabd-logo

भटकाव

21 मार्च 2015

143 बार देखा गया 143
रजनी के अन्धकार में, फैला चहुँ-दिश घोर तम का साया, चन्द्र किरण की आस में, खद्योत प्रकाश भी है बिसराया । किस मार्ग पर करूँ प्रयाण, क्षण एक ठहर सोचता हूँ, मैं आज स्वयं को खोजता हूँ

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए