रजनी के अन्धकार में,
फैला चहुँ-दिश घोर तम का साया,
चन्द्र किरण की आस में,
खद्योत प्रकाश भी है बिसराया ।
किस मार्ग पर करूँ प्रयाण,
क्षण एक ठहर सोचता हूँ,
मैं आज स्वयं को खोजता हूँ
21 मार्च 2015
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मैं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के यांत्रिकी अभियांत्रिकी विभाग में एक शोध छात्र हूँ .D