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बिहार - कल और आज

31 जनवरी 2015

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बिहार की वास्तविकताएं किसी से छुपी हुई नहीं है बिहार प्रतिदिन अनेक परेशानियों का सामना कर रहा है भले ही हम हम बिहारी मेहनती हो लेकिन अपना नेता चुनते समय हम जात पात और धर्म को सामने ले आते है इससे ये होता है की हर जगह अराजकता का सामना करना परता है फिर रही बात नेता की , हमारा नेता यानी मुख्य मंत्री हमेशा ही इस घमंड में चूर चूर होता है की वो कभी भी सही ढंग से काम ही नहीं करता है मै इसके लिए बिहार के ३ मुख्य मंत्रियो के बारे में थोड़ा बहुत बताता हु १ श्री कृष्णा सिन्हा -- इन्होने बिहार को नयी आयाम तक पहुचाया इन्होने समाज के उद्धार के लिए भी अनेक काम किये और जमींदारी से बिहार को मुक्त करवाया उस समय का बिहार एक छोटा बालक की तरह था जिससे श्री सिन्हा जी चलना सिखाया और अनेक करे फैसले से बिहार को देश के नक़्शे पे बिकसित राज्य के तौर पे उभारा २ श्री नितीश कुमार -- इनको भाजपा और जदयू के महा गठबंधन का मुख्य मंत्री का उम्मीदवार चुना गया इनके वादो की झरी ने राजद की कमर पतली कर दी चुनाव के दौरान इन्होने राज्य में विकास करने के वादे किये और साथ ही मुसलमानो का वोट पाने लिए उनकी टोपी भी पहनी राजद हार गयी और नितीश कुमार मुख्य मंत्री बनाये गए इन्होने ५ साल के लिए वैसा ही किया जैसा इन्होने चुनाव में वडा किया था लेकिन इनकी मति थोड़ी भ्रस्ट हो गयी बिहार का उद्धार करने के बदले ये देश के प्रधान मंत्री बनने के सपने देखने लगे इससे धीरे धीरे ये हुआ की इनका ध्यान काम काज से भटक गया और आने वाले लोक सभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन तोड़ अपने ही दुसमन यानी राजद से हाथ मिलाया लेकिन इनकी किस्मत इस बार ख़राब रही ये बरी मुस्किल से अपना सीट बचा पाये थे और इनकी पार्टी अपनी इज्जत ३ श्री जीतन राम मांझी -- ये आज कल बहु चर्चित मुख्य मंत्री है अपने बेबाक बयानो से मुख्य मंत्री पद की गरिमा को तार तार कर रहे है इन्होने पूरा माहौल ही दलित दलित कर रखा है लेकिन उनके लिए वादे सिर्फ कागज़ी अभ्यास बने हुए है इन्हे बिहार की चिंता तोह है ही नहीं अगर इन्हे चिंता है तोह बस इतना ही इनकी कुर्सी बच जाये कैसे भी कर करके इनके कारण बिहार का बंटा धार हो चुका है मैंने इन् तीनो के बारे मैंने इसलिए बताया क्युकि बिहार जो की कभी विश्व का ज्ञान का केंद्र था और बहुत ही समृद्ध रह चुका था अब ऐसा नहीं है

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केजरीवाल - मसीहा या धोकेबाज़

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