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केजरीवाल - मसीहा या धोकेबाज़

4 फरवरी 2015

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अन्ना हज़ारे के द्वारा शुरू किये गए भ्रस्टाचार विरोधी आंदोलन को केजरीवाल ने छुपे से हाई जैक किया और अन्ना के इक्छा के विरुद्ध जा कर एक नयी पार्टी बनाई और नाम रखा "आम आदमी पार्टी " अन्ना अराजनैतिक रहना चाहते थे केजरीवाल एक कदम आगे बढ़ गए और इस इस नए राजनितिक पार्टी में युवाओ को शामिल किया जाने लगा साल २०१३ - वो ४९ दिन अरविन्द केजरीवाल ने भ्रस्टाचार के विरुद्ध आंदोलन कर संपूर्ण देशवासियो का मन मोह लिया था उन्हें अब केजरीवाल से आशा थी की वो ही अब इन भ्रस्ताचारियो के देश को मुक्ति दिलाएंगे और इन्होने लोगो के भरोसे को ध्यान में रख कर २०१३ के डेल्ही विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को चुनावी पटल पे ला खरा किया और अपने पार्टी को इतनी सीट तोह दिलवाय की वो अल्पमत की सरकार बना सके इन्होने अपनी सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए कांग्रेस का सहारा लिया और ये दिल्ली के सातवे मुख्य मंत्री की सपथ ली इनके मुख्य मंत्री रखते हुए नयी दिल्ली को अनेक लोक लुभावन फैसले का ज्ञान हुआ अगर इनमे काम करने की इक्षा शक्ति होती तोह ये धरना प्रदर्शन करने के बजाय पूर्ण लगन से काम करते लेकिन इन्होने ४९ दिनों में ही इस्तीफा दे कर दिल्ली को धोखा दिया और चलते बने

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बिहार - कल और आज

31 जनवरी 2015
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बिहार की वास्तविकताएं किसी से छुपी हुई नहीं है बिहार प्रतिदिन अनेक परेशानियों का सामना कर रहा है भले ही हम हम बिहारी मेहनती हो लेकिन अपना नेता चुनते समय हम जात पात और धर्म को सामने ले आते है इससे ये होता है की हर जगह अराजकता का सामना करना परता है फिर रही बात नेता की , हमारा नेता यानी मुख्य मंत्री

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केजरीवाल - मसीहा या धोकेबाज़

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