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बीमारी सच बोलने की.

18 जून 2016

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ये एक गजब की बीमारी है .मैं इस बीमारी का खुद भी पेसेंट हु. 

पर दूसरों को सलाह देता ही रहता हु. एक  सलाह   लेकर आपके पास आ गया हु. 



अभी के समय में जब कोई काम निकलना हो तो जरुरी है की मक्खन लगाकर ही काम चलाया जाए, पर कुछ लोग को ये आदत हो जाती है की सच ही बोलेंगे और कुछ दूसरी बात नहीं बोलेंगे. इन लोगों का काम हमेशा लटकता रहता है, तो काम बनाना है तो थोड़ी मक्खन लगने की आदत  डाल लीजिए. नहीं तो काम बिगड़ भी सकता है. 

 

वैसे जो लोग सच बोलते है उनपर लोग भरोसा तो करते है पर ऐसे लोग कभी भी जनता के बिच पॉपुलर नहीं रहे है. आप सच बोलकर  जनता का भरोसा तो जीत सकते है पर अगर वोट करके इलेक्शन जितने की बात हो तो आपको निराश होना ही पड़ेगा. तब आप कहिएगा की सभी चोर हैं. वास्तव में बात है की आप लोगो का दिल नहीं जीत पाए. उसके लिए थोड़ा मक्खन लगाना पड़ता है. थोड़ा झूट भी बोलना पड़ता है. आंकड़ों को अपने तरीके पेश करिये. अगर आप  इलेक्शन जितना चाहते है तो, नहीं तो सच बोलते रहिये. 



झूठ बोलना पाप नहीं है .जब इसका उद्देस्य सही और समाज के हिट को साधने वाला हो .

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बस लिखना चाहता हूँ

17 जून 2016
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जरुरी नहीं है की कोई बात हो तब ही कुछ लिखना होगा. कभी मन न भी करे तो लिखना चाहिए . दिल को सुकन मिलता है. फेसबुक पर लिखने में तो अलग बात हो जाती है,  भीड़ में कुछ कहना जब सब लोग हड़बड़ी में हो तब तो बस एक रसम ही हो जाती है लिखना. थोड़ा समय ले चूका हु आपका तो चाहूंगा की कुछ और बात भी हो जाए, मोबाइल मेरा ख

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बीमारी सच बोलने की.

18 जून 2016
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ये एक गजब की बीमारी है .मैं इस बीमारी का खुद भी पेसेंट हु. पर दूसरों को सलाह देता ही रहता हु. एक  सलाह   लेकर आपके पास आ गया हु. अभी के समय में जब कोई काम निकलना हो तो जरुरी है की मक्खन लगाकर ही काम चलाया जाए, पर कुछ लोग को ये आदत हो जाती है की सच ही बोलेंगे और कुछ दूसरी बात नहीं बोलेंगे. इन लोगों क

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