एक गीत
गुरू बिन कौन है अपना
गुरू बिन कौन है अपना ,
जो हमको पार कर देगा ।
बदी को दूर कर दिल से ,
गुरू नेकी को भर देगा ।।1।।
गुरू की तू शरण ले लेें ,
अमन जीवन सुधर जायेगा ।
गुरू एक रास्ता सीधा ,
इधर जायें , उधर जायें ।।
सब कुछ तू लुटा उस पर ,
वो कर शीश धर देगा ।
गुरू बिन कौन है अपना ,
जो हमको पार कर देगा ।।2।।
गुरू की बात का कहना ,
अमन एक बार कर ले तू ।
दुनिया है भटक-नैया ,
भंवर के जाल उतर ले तू ।।
गुरू से ही रोशन हम ,
वही जीवन संवर देगा ।
गुरू बिन कौन है अपना ,
जो हमको पार कर देगा ।।3।।
घनी काली, अंधेरी रात ,
एक उिन पास आनी है ।
खुदा के घर से हासिल वो ,
एक दिन श्वास जानी है ।।
इन्हीं दो दिन के पल में वो ,
हमारे पाप हर लेगा ।
गुरू बिन कौन है अपना ,
जो हमको पार कर देगा ।।4।।
गुरू जीवन की नैया का ,
कुशल साधक, खिवैया है ।
भंवर से बाहर लाये वो ,
उसी के हाथ में नैया है ।।
गुरू एक दिन हमें सच में ,
सुनहरे पंख, पर देगा ।
गुरू बिन कौन है अपना ,
जो हमको पार कर देगा ।।5।।
गुरू जीवन नही तो क्या ,
सभी सूना , सभी बेरंग ।
उसी से तो मिले जीवन ,
जीवन को अनेकों रंग ।।
गुरू शार्गिद बेघर को ,
अमन एक रोज घर देगा ।
गुरू बिन कौन है अपना ,
जो हमको पार कर देगा ।।6।।
गीतकार
मुकेश बोहरा अमन
बाड़मेर राजस्थान
8104123345