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गुरू बिन कौन है अपना

26 सितम्बर 2017

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एक गीत


गुरू बिन कौन है अपना



गुरू बिन कौन है अपना ,

जो हमको पार कर देगा ।


बदी को दूर कर दिल से ,

गुरू नेकी को भर देगा ।।1।।


गुरू की तू शरण ले लेें ,

अमन जीवन सुधर जायेगा ।


गुरू एक रास्ता सीधा ,

इधर जायें , उधर जायें ।।


सब कुछ तू लुटा उस पर ,

वो कर शीश धर देगा ।


गुरू बिन कौन है अपना ,

जो हमको पार कर देगा ।।2।।


गुरू की बात का कहना ,

अमन एक बार कर ले तू ।


दुनिया है भटक-नैया ,

भंवर के जाल उतर ले तू ।।


गुरू से ही रोशन हम ,

वही जीवन संवर देगा ।


गुरू बिन कौन है अपना ,

जो हमको पार कर देगा ।।3।।



घनी काली, अंधेरी रात ,

एक उिन पास आनी है ।


खुदा के घर से हासिल वो ,

एक दिन श्वास जानी है ।।


इन्हीं दो दिन के पल में वो ,

हमारे पाप हर लेगा ।


गुरू बिन कौन है अपना ,

जो हमको पार कर देगा ।।4।।


गुरू जीवन की नैया का ,

कुशल साधक, खिवैया है ।


भंवर से बाहर लाये वो ,

उसी के हाथ में नैया है ।।


गुरू एक दिन हमें सच में ,

सुनहरे पंख, पर देगा ।


गुरू बिन कौन है अपना ,

जो हमको पार कर देगा ।।5।।



गुरू जीवन नही तो क्या ,

सभी सूना , सभी बेरंग ।


उसी से तो मिले जीवन ,

जीवन को अनेकों रंग ।।


गुरू शार्गिद बेघर को ,

अमन एक रोज घर देगा ।


गुरू बिन कौन है अपना ,

जो हमको पार कर देगा ।।6।।



गीतकार

मुकेश बोहरा अमन

बाड़मेर राजस्थान

8104123345




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