shabd-logo

बोल मेरी चक्की

29 जनवरी 2015

341 बार देखा गया 341
1

शब्दनगरी १ अच्छा प्लेटफार्म है।

28 जनवरी 2015
0
0
1
2

मेरा उसका परिचय इतना

28 जनवरी 2015
0
1
1
3

वो थका हुआ।

28 जनवरी 2015
0
0
0
4

बोल मेरी चक्की

29 जनवरी 2015
0
0
0

राजा विशालसिंह के बीमार पड़ जाने से चक्की का हत्था भी थम गया। राजा बूढ़ा जो हो चला था। हर किसी को राजा से ज्यादा चिंता पहाड़ सी विशालकाय चक्की की थी। हर कोई चिंता में घुला जा रहा था। राजा के बाद चक्की को कौन घुमाएगा? यही एक सवाल था, जो हर कोई एक-दूसरे से पूछ रहा था। वह चक्की ही तो थी जो मुंह मांगी इच्छाएं पूरी करती थी। जब आवश्यकता होती तो राजा चक्की के पास जाता। हत्था घुमाते हुए कहता-”बोल मेरी चक्की। क्या देगी। अबकी दस तोला सोना सोना।” बलशाली राजा चक्की के पाट घुमाता और चक्की से सोने की अशरफियां खनखनाती हुई बाहर निकलती। कभी राजा कहता-” बोल मेरी चक्की। क्या देगी। अबकी एक हजार हाथी हाथी।” पल भर में ही हाथियों की फौज चक्की से बाहर निकलने लगती।

5

बोल मेरी चक्की

29 जनवरी 2015
0
0
0
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए