बूढ़ी अम्मा का रिश्ते से जन्मोजन्मान्तर का बेटा
एक आदमी हमेशा गांव में सब्जी ओर फल बेचने आया करता था. उसके बाद वह एक बूढ़ी अम्मा
से जरूर मिलता था. क्योकि उस बूढ़ी अम्मा को वह अपने बचपन से जानता था. भले
ही बूढ़ी अम्मा सब्जी ओर फल नहीं लेती थी. मगर उस आदमी का रिश्ता उस बूढ़ी अम्मा से
बेटे जैसा हो गया था. वह उस बूढ़ी अम्मा को सब्जी ओर फल जरूर देकर जाता था. मगर
वह बूढ़ी अम्मा कहती थी. में बस अकेली ही रहती हु. ,बहुत मुश्किल से खाना बनता है. मुझे अब सब्जी ओर फल की अधिक जरूरत नहीं है. यह सुनकर सब्जी ओर फल बेचने वाला कहता है की अगर सब्जी ओर फल के साथ भोजन बनता है तो वह बहुत अच्छा लगता है. इससे भोजन भी खाने में अच्छा लगता है. वह बूढ़ी अम्मा कहती है. एक अकेले इंसान जब घर में होता है. उससे बात करने वाला कोई नहीं होता है. तो उसे भोजन भी अच्छा नहीं लगता है. यह सुनकर वह आदमी कहता है. मुझे पता है. इसलिए में अपनी माता से मिलने जरूर आता हु. यह सुनकर वह बूढ़ी अम्मा कहती है. आज तुमने यह शब्द कहकर एक रिश्ता बना दिया है. कुछ समय बाद वह आदमी चला जाता है. कुछ दिन बाद वह आदमी फिर से अपने सब्जी ओर फल बेचने आता है. वह बूढ़ी अम्मा को आवाज लगाता है. मगर कोई जवाब नहीं आता है. उस आदमी को लगता है. शायद बूढ़ी अम्मा घर पर नहीं है. कुछ देर इंतज़ार करना चाहिए. लेकिन जब कोई नहीं आता है. वह आदमी घर के अंदर जाता है बूढ़ी अम्मा बीमार पड़ी थी. शायद उन्हें बीमार हुए चार दिन हो गए थे. कोई उन्हें देखने नहीं आया था. वह आदमी उन्हें दवाई देने के लिए साथ में लेकर जाता है. आज वह उसके बेटे जैसा काम कर रहा था. उस बूढ़ी अम्मा को वह बेटा मिल गया था. जिसके बारे में वह सोच भी नहीं सकती थी. जब वह ठीक हो जाती है. वह कहती है. मुझे अपना बेटा मिल गया है. जो मेरी देखभाल करता है. हमारे जीवन में ऐसा भी होता है. जिसका हमे ज्ञान नहीं होता है. ओर हम उस रिश्ते से जन्मोजन्मान्तर के लिए बन जाता है !
संजू. ..............