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छोटे से बड़े

12 मार्च 2015

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इक दिन बोली मुझसे नानी, मै कहती तुम सुनो कहानी एक खेत बिन जुता पड़ा था, उबड़ खाबड़ बहुत बड़ा था कोई चिड़िआ बीज उठा कर, उड़ती उड़ती गई डाल पर हवा डराती धुप जलाती, मिट्टी उसको खूब दबाती मिट्टी की गोदी में रहकर, सूरज की किरणों जलकर कहा बीज ने हाय अकेला, पर न डरूंगा भले अकेला कुछ दिन बीते अंकुर फूटै, कोमल कोमल पत्ते फूटे बीज बन गया पौधा प्यारा, हरा भरा लहराता प्यारा पोधे से बढ़ पेड कहाया, दूर दूर तक फैली छाया बस जितने भी बड़े बने है, छोटे से बढ़ बड़े बने है
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अवसर

7 मार्च 2015
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मेरी माँ से सुनी हुई कविता सूरज उगा हुआ सवेरा ,गया अँधेरा भाग दादा जागे दादी जागी,लाला तू भी जाग माता मुझको सो लेने दो ,बस थोड़ा सा और मीठी मीठी नींद आ रही,कहाँ हुई है भोर तो फिर मै जाती हूँ ,दादा लायेगे जब आम बाँट बाँट हम सब खाएंगे ,तुम करना आराम जो सोता है ,वो खोता है ,पाता है सो जगता

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वर्तमान मे दादी नानी की कहानिया , बचपन के गीत, कविताए,लोरिआ व खेल कम होते जा रहे है अत; पुन;उन्हेयाद दिलाने की कोशिश करुँगी आशा है आप पसंद करेगी

10 मार्च 2015
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लालो लाल रोटी खावै आदि बाग म ले ज्याव सुवो टाच की दे ज्यावै लालो देखतो रे ज्यावै

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लोरियाँ

10 मार्च 2015
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लिटिल बेबी सोजा, लाल पलंग पर सोजा मम्मी डैडी आयेंगे ,सात खिलोने लाएंगे एक खिलौना टूट गया लिटिल बेबी रूठ गया चंदा मामा दूर के, पुए पकाये मूंग के आप खाए थाली में, मुन्ने को दे प्याली में प्याली गयी फुट, मुन्ना गया रूठ मुन्ने को मनाएंगे, सात खिलोने लाएंगे

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छोटे से बड़े

12 मार्च 2015
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इक दिन बोली मुझसे नानी, मै कहती तुम सुनो कहानी एक खेत बिन जुता पड़ा था, उबड़ खाबड़ बहुत बड़ा था कोई चिड़िआ बीज उठा कर, उड़ती उड़ती गई डाल पर हवा डराती धुप जलाती, मिट्टी उसको खूब दबाती मिट्टी की गोदी में रहकर, सूरज की किरणों जलकर कहा बीज ने हाय अकेला, पर न डरूंगा भले अकेला कुछ दिन बीते अंकुर फूट

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kavita

21 मार्च 2015
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एक दो तीन चार चलो चले क़ुतुब मीनार पांच छ सात आठ चलो देखे राज घाट नौ दस ग्यारह बारह चलो चाँदनी चौक फवारा तेरह चवदह पन्दरह सोलह प्लेटफार्म पर मुर्गा बोला सत्रह अठारह उनीस बीस देखी दिल्ली लाओ फीस

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मिष्ठान - युद्ध

4 अप्रैल 2015
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रसगुल्ले ने करी लड़ाई इमरतीं ने दौड़ लगाई गुलाबजामुन ने शोर मचाया लड्डू ने निज डाव लगाया घेवर भैया मौन खड़े थे कलाकंद जी बीच पड़े थे चमचम बोली क्यों लड़ते हो इस टंटे में क्यों पड़ते हो बालूशाही की बात निराली सब बच्चो ने मिलकर खाली पेड़ा भागा

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दिन और रात

10 अप्रैल 2015
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रात हुई अब तारे चमके,टिम-टिम,टिम -टिम सारे चमके सोया ललू सोया कलु,लेकिन जागरहा ह कलु उठो -उठो अब हुवा सवेरा, चिडिओ ने तज दिआ बसेरा उठो नहाओ खाना खावो, कपडे पहनो शाला जावो

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मारवाड़ी

15 अप्रैल 2015
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क ख ग घ ड़,बापूजी लड़ इस्कूल जाणो ही पड़ , मार खांणी पड़ अगर बाबूड़ो नहीं पढलो ,रे ज्यावलो ठोठ गायां लार फिरतो -फिरतो ,चुगतो फिरलो पोठ

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