मेरी माँ से सुनी हुई कविता
सूरज उगा हुआ सवेरा ,गया अँधेरा भाग
दादा जागे दादी जागी,लाला तू भी जाग
माता मुझको सो लेने दो ,बस थोड़ा सा और
मीठी मीठी नींद आ रही,कहाँ हुई है भोर
तो फिर मै जाती हूँ ,दादा लायेगे जब आम
बाँट बाँट हम सब खाएंगे ,तुम करना आराम
जो सोता है ,वो खोता है ,पाता है सो जगता
लाला उचक पड़ा खटिया से ,नीचे आया भगता