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हृदय के स्वर खिले हों या रुॅंधे हुए, धड़कने स्वस्थ हो या रुग्ण, उनके साथ जीवन कैसे जिया जाए-यह मार्ग दिखाना ही मर्म चिकित्सा का ध्येय है। सीने के बीच और बाई तरफ बसा तथा जीवन के हर पल का संचालन करता हृद
रांची नगर की कोई भी गाथा स्वर्णरेखा नदी के पुण्यधर्मी प्रवाह को भूलकर नहीं लिखी जा सकती | हम रांची नगर वासी जीवन की प्रवाह को जीवनदायिनी स्वर्णरेखा नदी के प्रवाह से जोड़कर देखते है, कारण हमारा इतिहास