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#deepakjangra

21 जनवरी 2017

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कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था

खेल ने की मस्ती थी ये दिल भी अवारा था

कहा आ गए हम इस समझदारी के दल-दल में


वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था |


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