कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेल ने की मस्ती थी ये दिल भी अवारा था
कहा आ गए हम इस समझदारी के दल-दल में
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था |
http://facebook.com/Scientist.deepakjangra
21 जनवरी 2017
कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेल ने की मस्ती थी ये दिल भी अवारा था
कहा आ गए हम इस समझदारी के दल-दल में
वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था |
http://facebook.com/Scientist.deepakjangra