दीपावली पर एक रचना
अपने सिर मेँ आग लगाकरकब तक जलते जाओगे ?हे दीपक तुम सत्य कहोक्या अंधकार को हर पाओगे ?अंधकारमय हुई दिशायेँसबके उर मेँ अंधेरा।जहाँ कभी था वास किरण कावहाँ दिखे तम का डेरा।सदियो से कर्तव्य तुम्हाराअंधियारे को हरने का।अपनी दीप्ति किरण से साराजग आलोकित करने का।फिर बोलो क्या आज अ