दीप्ति वार्ष्णेय
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मैं एक कवित्री हूँ मेरे मन मे कभी - कभी ऐसे ख्याल आते रहते है जो कविता का रूप ले लेते है फिर मैं सभी काम छोड़ कर अपने ख्यालो को कविता को रूप देने बैठ जाती हूँ
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