दीपक पारखे
1 किताब ( 1 हिंदी )
2 रचनायें ( 2 हिंदी )
मुझे कविता, कहानी, लघुकथा, ड्रामा, शेरो शायरी, लिखने का शौक है, " जीते जी ऐसा कुछ कर जाऊं, मरने के बाद लोगों के मन में याद बनकर उभर पाऊं " "अपने नाम से माता पिता की पहचान चहु दिशा में फैलाऊ तभी यह जन्म सार्थक कहलाऊ,"