हिन्दुस्तान है हमारा,कितना है हमसे दुल्हारा ।
जंहा रोता है दलित का दुल्हारा ।।
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मानव तो मानव नहीं ,बन गया है हत्यारा ।
करो या मरो, बस रहा है ये दलितों तुम्हारा ।।
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मौत की घाट उतरता है तो दलित का दुल्हारा ।
क्या हुआ उन कत्तो का जिसने तुमको नकारा ।।
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फीस भी माफ उनकी होती , जो है ट्यूशन का प्यारा ।
पाठशालाओं में डांट खाता है तो वह है दलित का दुल्हारा ।।
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सीमा पे खडा है जो, उसका भी है एक प्यारा ।
बलिदान के बाद इन प्यारो का हाल है न्यारा ।।
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जो बना , वही है जोग-सगी का प्यारा ।।।