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DTC bus

24 मई 2020

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पुर्जों से बना मैं

यांत्रिकी का यश था।

दंगाइयों ने जला दिया

हाँ मैं DTC बस था।


वातानुकूलित लाल था

समान्य रंग था हरियाली।

देखो ना रंग धुल गया

पर गया कोयले सी काली।


धर्म निरपेक्ष रहा मैं

करने दी सबको सवारी।

फिर क्यों मुझे फुंक दिया

आखिर कया गलती थी हमारी।


खड़ा हुआ जब भी कोई मुद्दा

हर साँस मैंने सहमे जिए।

बना था तुम्हारे पैसों से

तुमने ही शीशे तोड़ दिये।


जा रहा हूँ इस बेरहम दुनियां से

अब कोई और तुमहे मेट्रो पहुँचाएगा।

फिर किसी दिन दंगा होगा

भेड़ों की भेंट वो भी चढ़ जाएगा।


पुर्जों से बना मैं

यांत्रिकी का यश था।

दंगाइयों ने जला दिया

हाँ मैं DTC बस था।


~संदीप गुप्ता

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