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एक हसीन सपना ,!!"आधुनिक प्रेमियों की कथा"

30 जनवरी 2015

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एक रात मुझे सोते-सोते एक बड़ा हसीन सपना आया ! किसी ने आधी रात को मेरे घर का दरवाजा खटखटाया ! मैंने सोचा यार इतनी रात को कौन कमबख्त चला आया ! दरवाजा खोला तो अपने सामने फटे पजामे में एक व्यक्ति को खड़ा पाया ! उसे देखकर हमें बड़ा गुस्सा आया, हमने अपनी सूजी आँखों को खुजलाया ! मगर लाख कोशिशों के बाद भी मैं उस अनजाने को पहचान न पाया ! हमें उस अनजान को देखकर चिढ़ तो बहुत हुई ! मगर जल्द ही हमें अपनी गांधीवादी संस्कृति याद आई ! हमने अपने मन में आई दुर्भावना मन में ही दबाई ! और बड़े प्यार से पूछा- आप कौन हैं मेरे प्यारे भाई? आप को हमारी नींद ख़राब करते हुए जरा भी शर्म न आई? वो बड़े ही नजाकत से बोला- अस-सलाम वालेकुम भाई ! हमारे मन को उनका यह मखमली, नजाकती लहजा बड़ा भाया ! हम बोले- माफ़ करना भाईसाहब, मैं आपको पहचान नहीं पाया ! वो बोला- पहचानोगे कैसे? सदियों बाद इस धरती पर आया हूँ ! खाकसार को मजनूं कहते हैं और साथ मैं लैला को भी लाया हूँ ! उनके साथ खड़ी लैला को देखकर मेरी बुद्धि जोर से चकराई ! अबे यह भूतपूर्व प्रेमियों की हिट जोड़ी आज मेरे घर कैसे चली आई ! मैंने दोनों का अभिवादन कर कहा- आप अन्दर तो आइये ! और परी-लोक से भू-लोक पर आने का कारण तो बताइए ! मजनूं बोले- क्या बताऊँ भाई ! लैला कई दिनों से मुझसे लड़ रही थी ! और कमबख्त धरती पर घूम कर आने की जिद कर रही थी ! कहती थी- चलो मजनूं धरती पर घूमने जाते हैं ! और कलयुगी प्रेमियों की दशा जान कर आते हैं ! इस बीच लैला ने पहली बार अपनी जुबान की खिड़की खोली ! आप हमें आजकल के प्रेमियों के बारे में बताइए ! मुझसे ये बोली ! मैं बोला- लैला आपा, ऐसे तो मैं आपको ज्यादा क्या बता पाऊँगा ! मगर आप हमारे मेहमान है सो बिना बताये भी नहीं रह पाऊँगा ! चलिए मैं अपने दिमाग की बुझी हुई बत्ती फिर से आपके लिए जलाता हूँ ! और लैला मजनूं के साथ पाठकों को भी आधुनिक प्रेमियों की कथा सुनाता हूँ ! प्रथम अध्याय प्रारंभ: अब पहले की तरह लैला मजनूं की याद में नहीं रोती है ! क्योंकि चौबीसों घंटे उसके पास मजनूं की ताज़ा जानकारी रहती है ! मजनूं जमाने के पत्थर खाने के बाद जहाँ भी जाता है ! तुरंत मोबाइल से लैला को अपने पिटने की दास्तान सुनाता है ! अपने पच्चीस मेगा पिक्सल कैमरे से अपने तन के जख्म दिखाता है ! और फ़ोन पर ही इन जख्मों पर लैला की लाखों पप्पियाँ पाता है ! लैला भी अब कोई "पत्थर से ना मारो मेरे दीवाने को" नहीं गाती है ! लैला "लैला की जवानी" "लैला बदनाम हुई मजनूं तेरे लिए" गाती है ! उसे कम कपड़ों में देख मजनूं को छोड़ जनता उसके पीछे पड़ जाती है ! अब मजनूं को चिट्ठी भेजने को नहीं जरूरत किसी कबूतर की ! तीस रूपए मैं चाहे जितने एस एम एस करो जरुरत है सिर्फ एक पैसे की ! मजनूं अब लैला का नाम कहीं जमीन पर नहीं लिखता है ! किसी और का भेजा एस एम एस तुरंत लैला को अग्रप्रेषित करता है ! अब लैला मजनूं अकेले नहीं, नेट पर चैट का समूह बनाते हैं ! बातों-बातों में कोई पटी तो पटी वर्ना ई-फ़्रेन्ड कहलाते हैं ! आधुनिक लैला मजनुंओं को अब सरकारी मान्यता भी प्राप्त है ! एक बार कोर्ट में जाने पर समझो घरवालों की सीमा समाप्त है ! सरकार कह रही है अब शादी के बिना भी प्रेमी एक साथ रहें ! शादी से पहले ही इस्तेमाल करें, फिर विश्वास करें ! और आजकल की आधुनिक लैलाएँ भी क्या गजब ढा रही हैं ! टीवी चेनल्स पर ही मजनुंओं का लोयल्टी टेस्ट करा रही हैं ! और जो मजनूं फेल हुआ उसपे सरेआम सेंडिल बरसा रही हैं ! और टीवी पर ये प्रायोजित कार्यक्रम दिखाकर अपनी टीआरपी बढ़ा रही हैं ! ये कमबख्त मजनूं भी पिटने के बाद सीधे रान्झाओं के पास जा रहे हैं ! और फिर दोनों मिलकर "आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ" गा रहे हैं ! इन दोनों का प्यार देखकर लैलाओं के भाव भी अब कुछ नीचे आ रहे हैं ! लैला हीर से कहती है "देख सखी ये कलमुहे कैसे दोस्ताना बना रहे हैं" ! द्वितीय अध्याय प्रारंभ: आधुनिक लैला-मजनूं की इतनी कथा सुनकर लैला और मजनूं थोड़ा घबरा गए, आजकल की लैला के कपड़े देख कुछ ज्यादा ही शरमा गए ! मजनूं बोला आज की लैलाओं के कपड़े कहाँ गए? दरजी ने कपड़ा खा लिया या मशीन में फंसकर उधड़ गए ! मैं बोला- लैला आपा लाल दुपट्टे भी अब नहीं लहरा रहे हैं ! ये तो बस अब लैलाओं के मुँह छिपाने के काम आ रहे हैं ! आज के मजनूं लैलाओं पर पैसे भी खूब लुटा रहे हैं ! बाप की गाढ़ी कमाई से पीजा और आईसक्रीम खिला रहे हैं ! लैलाओं को भी ऐसे ही मालदार मजनूं बहुत भा रहे हैं ! बाकी आपसे फटेहाल मजनूं आज भी धक्के खा रहे हैं ! इतनी कथा कहने के बाद मैंने कहा- आगे कथा और सुनेंगे? या फिर कल मेरे साथ चलकर ऐसे प्रेमियों से खुद मिलेंगे ! यह सुनकर दोनों एक स्वर में बोले- न ही सुनेंगे न ही मिलेंगे ! आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब ! अब हम वापस निकलेंगे ! हमारा एक दिन का ही वीसा था वर्ना हम वापस परीलोक न जा पायेंगे ! और आपकी कथा सुनने के बाद हम इस भूलोक में भी न रह पायेंगे ! जाते जाते मजनूं जी हमें अपना कुरता थमा गए ! धन्य थे वे लैला-मजनूं जो सदा के लिए दुनिया के दिलों में समा गए !

ज़ुबैर इदरीसी की अन्य किताबें

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एक सवाल

25 जनवरी 2015
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बचपन में सबसे अधिक पूछा गया एक सवाल । बड़े होकर क्या बनना है....? अब जाकर जवाब मिला । फिर से बच्चा बनना है ....!!

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माँ को रोने ना देना,

25 जनवरी 2015
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तब टूटती थी प्लेट, बचपन में तुमसे अब माँ से टूट जाये, तो कुछ भी ना कहना,,, तब मांगते थे गुब्बारा,बचपन में माँ से अब माँ चश्मा मांगे,तो ना मत कहना,,,, तब मांगते थे चॉकलेट,बचपन में माँ से अब माँ मांगे दवाई,तो ना मत कहना,,,, तब डाटती थी माँ,शरारत होती थी तुमसे अब वो सुन ना सके,तो बुरा उसे ना कहना,,,

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Bade ho kar kya banna he. ?

28 जनवरी 2015
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Laut ata hu bapas ghar ki taraf, Har roz Thaka hara, Aaj tak Samjh nahi aaya ,jine ke liye kaam karta hu, Ya kaam karne ke liye jita hu, Bachpan me sabse Adhik baar pucha gaya sawal,- ''Bade ho kar kya banna he???'' Jabab Ab mila he ''Baccha banna he''

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ज़िन्दगी की हवस .

29 जनवरी 2015
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यही आशिक़ी का फ़साना रहा है दीवाना हमेशा ही दीवाना रहा है मुहब्बत निभाने को क्या ना किये हैं फिर भी दुश्मन ये ज़माना रहा है ना शिक़वा उन्हें ना हमें गिला था मिटने मिटाने का बहाना रहा है मझधार क्या है साहिल पे अपनी क़िश्ती का सिर्फ़ डगमगाना रहा है हमें बागवाँ से शिक़ायत नहीं पर हालों पे गुलों का मुस्कराना र

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एक हसीन सपना ,!!"आधुनिक प्रेमियों की कथा"

30 जनवरी 2015
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एक रात मुझे सोते-सोते एक बड़ा हसीन सपना आया ! किसी ने आधी रात को मेरे घर का दरवाजा खटखटाया ! मैंने सोचा यार इतनी रात को कौन कमबख्त चला आया ! दरवाजा खोला तो अपने सामने फटे पजामे में एक व्यक्ति को खड़ा पाया ! उसे देखकर हमें बड़ा गुस्सा आया, हमने अपनी सूजी आँखों को खुजलाया ! मगर लाख कोशिशों के बाद

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एक काफिला ..

31 जनवरी 2015
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