आज सफाई करते हुए एक खत मिला पूराना
मेरी जिंदगी का पहला ख़त
पढ़ने से रोक नही पायी खुद को
और फिर पढ़कर लगा
जो आज है हम
क्या ऐसे शुरू किया था, और इस आज के लिए
नहीं ऐसा तो नहीं होना चाहिए था
इतनी बेरुखी,इतनी बेगानापन
इसलिए तो नहीं मिली थी मै तुमसे
अगर यही अंजाम था
तो क्यूं कर था
ना तुम गलत ,ना मै गलत
फिर क्यूं रिश्ते में इतना गिले
ऐसेे तो हम नहीं थे
हालात बुरे हुए या हम दोनों
लोगों की बुरी नज़र
के शिकार हुए
अब वक़्त है बीत रहा है मुझमें कही
और गुजर रहा है
तेरे, मेरे दिल की धडकनों से गुजरते हुए
छोड़ते निशान कुछ टूटते हुए दिलों पे
क्यूं लिखूं तुम तक पहुंचता ही नहीं जब
क्यूं ,क्यूं,दूर है हम क्यूं 💕💕