वो जब बेटी बन पैदा हुई
बंदिशों मे कैद हो गई
पिता की पगड़ी के आगे
अपने आंसुओ को पी गई!
थोड़ी सी बड़ी हुई तो
वो छोटे बड़े कपड़ो में खो गईं
कपड़ो से उसको उसकी एहमियत बताई गई
सर पर दुपट्टा रख वो फिर अपने आंसुओं को पी गई!
18 की हुई नहीं अभी कि
रिश्ते बुआ नानी लाने लगी
बेटी अब बड़ी हो गई है ये सुन अपने सपनों
को भूल अपने आंसुओ को पी गई!
बाबुल के घर संस्कारों में बंधी तो
पिया घर कायदों में बंध गई
बहु हो कायदे में रहो ये सुन
अपने घुघंट में अपने आंसुओ को पी गई!
अरी जब दायरे और कायदे में ही रखना था तो
इस खुले संसार में आने ही क्यों दिया
जब बेटी पर है इतने सवाल
तो फिर उसे पैदा ही क्यों किया!
✍️........ पल्लवी द्विवेदी