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मेरे हमसफ़र

2 नवम्बर 2022

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हमसफ़र , हमक़दम, हमदम, इक ऐसा (शब्द) है । जो
(हम + सफ़र ) से मिलकर बना है । (हमसफ़र) जो दोस्ती,मोहब्बत,ओर जिदंगी को दर्शाता है। जैसे कि 
प्रेमी, प्रेमिका,पति,पत्नी साथी, उम्र भर साथ देने वाला, रिश्ता निभाने वाला , हमेशा साथ मे रहने वाला तथा हर सफ़र मे साथ मिलकर चलने वाला जिसे हम हमसफ़र कहते हैं । हमसफ़र मे, हमे इक अच्छा दोस्त , सच्चा प्यार करने वाला ,बेहद मोहब्बत करने वाला (शख़्स) मिलता है । 
जो हर सफ़र मे साथ रहकर हर इक मजिंल को तह साथ - साथ रहकर करता है । तथा वादा सात जन्मो का हो या कुबूल करके निभाया हुआ । मिलकर तमाम शिक़वे ग़िले अपने गले लगाता है । तथा ग़म मे भी वह खुदको हैरान नहीं करता न ही वह मायूस होने देता है । अपने साथी को , वह खुदसे ज्यादा अपने साथी को खुशहाल रखने की कोशिश करता है । गुज़र जाये जितनी भी उम्र हर उम्र मे वो बाग़ो के फूल की तरह ख़िलता मुस्कुराता रहता है । दफ्तर की भाग दौड़ हो या थका हुआ या बाज़ारो की भीड़ -भाड़ मे भागकर आया हुआ मगर साथी उसका उसको ये एहसास नहीं करने देता किसी भी चीज़ का वह तन्हा है । वह मोहब्बत खुदसे ज्यादा अपने साथी से करता है । वह कभी नाराज़ अपने साथी को नहीं करता है । वह अपनी पारवह न करते हुए वो अपने साथी की पारवह करता है । ये इक ऐसा सफ़र-ऐ-जिदंगी है । जो हर मोड़पर अपने साथी के काम आता है । हर रास्तो पर मुश्किल से मुश्किल राह पर डटकर मुक़ाबला करता है । यह आपका साथी साथ कभी नहीं छोड़ता तथा वह साथ रहकर अपने साथी की मुश्किलो से झगड़ता है । ओर यह इक ऐसा हमदम है । जो हमदम दोस्त मित्र बनकर हमेशा अपने साथी के साथ रहता है । आपका हमदम, हमक़दम हमसफ़र बनकर जिदंगी भर अपने साथी के साथ रहता है । ओर अपने साथी के साये मे तमाम जिदंगी गुज़ार देता है । जिदंगी का सफ़र करते-करते अपने हमसफ़र के साथ.......अपने हमसफ़र के साथ ओर ये इक ऐसा खुबसूरत बधंन पवित्र रिश्ता है । जो कभी तुमको टूटने नहीं देता, ओर यह इक बड़ा ही मज़बूत धागा है । जिसे ईश्वर ने मनुष्य तथा नारी को इक ऐसे रूप दिया है । ताकि तुम जिदंगी मे तन्हा न रहो , तुमको अकेलापन महसूस न हो , इसलिए ईश्वर ने पहले (मनुष्य, बाद मे नारी ) को बनाया ताकि तुम तन्हाई मे जिदंगी न बसर करो , वह तुमको समझे तुम उसको समझो , आपका साथी तुम्हारे तसव्वुर को भी अपना समझता है । वह साथी जानता है । कि इससे आगे मेरी कोई दुनिया नहीं है । न ही हद है । अपने साथी के सारे दर्द-ओ-अलम साथी के साथ लेकर उम्र भर चलता है
सफ़र तो काई है । जिदंगी मे मगर लोगो ने हर सफ़र तह अकेले किया है । ये इक ऐसा हमसफ़र है । जो अपने साथी के साथ तह किया जाता है । जिसे जिदंगी का सफ़र कहते है । जो जिया जाता है । अपने हमसफ़र के साथ , अपने हमसफ़र के साथ ,ये सब कुछ छोड़कर अपने साथी के पास आता है । इक जिदंगी का सफ़र तह करने के लिए, जिदंगी के सफ़र मे , हमसफ़र बनकर 

समाप्त 


लेखक - ज़ुबैर खाँन.....📝article-image





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ये किताब हमसफ़र के बारे है। इस किताब मे अपने पार्टनर का अच्छे गुणों का प्रयोग किया गया है। तारीफ़ के लिए

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