मेरी शायरी मुख्तलिफ है मेरे शेर अलग है
अभी हासिल -ए -शोहरत मे देर अलग है ।
अभी महफूज़ हूँ मै नाकामियों के साये में
और मेरे हिस्से कि भी अन्धेर अलग है ।
कोशिशों ने कामयाबियों से रिश्ता तोड़ लिया
खुदा के रहमतो में भी लगती देरअलग है ।
-अजय प्रसाद
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