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चारों तरफा हो रहा जो, नाश ये विनाश है. प्रलय का संकेत है ये, अंत बहुत पास है. हौसला चट्टान सा है, तोड़ ना सकोगे तुम. छल-कपट से हम को कभी, जोड़ ना सकोगे तुम. देश के आवाम की, ना तुमने रखी लाज़ है म