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शिक्षा और संस्कृति

6 सितम्बर 2021

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 सभी शिक्षकों को समर्पित एक शिक्षिका की नज़र से



"रत्न" ने देखा है, इन बच्चो को बड़े गौर से ,
छोटे होते है ,पर समझते है दुनिया किसी और दृष्टिकोण से ll

रोज सताते है हमको,रोज चिढ़ाते है हमको,
पर बस आया निश्छल प्रेम नज़र उनमे,देखा जिस ओर से ll

इनमे होता है वो ज़ज्वा की ,बना दे या मिटा दे दुनिया,
चाहे तो मिला दे आसमां को ज़मी के छोर से ll

अपना कर्तव्य निभाओ बड़ी लगन से तुम गुरुओ,
भविष्य मिला है हमको, संवारना है इसको,सूरज उगाओ तुम भोर से ll

जब लगे ज़रूरत,अधिकार भी तुम जताओ,
कच्ची मिटटी है न बनेगे परिपक्व,जब तक न जलाओगे भट्टी ये ज़ोर से ll

आधुनिकता की आंधी मैं हम सब बह रहे है,
बचा लो संस्कृति अपनी,मन की भी सुन लो कभी हट के दुनिया के शोर से ll  

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