गुप्तरत्न
"भावनाओं के समन्दर मैं" मेरे सजदों की बस इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न,और कही सर रत्न का झुके
15 अक्टूबर 2019
"भावनाओं के समन्दर मैं" मेरे सजदों की बस इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न,और कही सर रत्न का झुके
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मेरे सजदो की इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न ,और सर कही गुप्तरत्न का झुकें न ए मालिक
आपके लिए
भावनायों के समन्दर में ,
ख़ामोशी की गहराई में ,
मेरे सजदो की इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न ,और सर कही गुप्तरत्न का झुकें न ए मालिक
आपके लिए
भावनायों के समन्दर में ,
ख़ामोशी की गहराई में ,
मेरे सजदो की इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न ,और सर कही गुप्तरत्न का झुकें न ए मालिक
आपके लिए
भावनायों के समन्दर में ,
ख़ामोशी की गहराई में ,
मेरे सजदो की इतनी हिफाज़त कर लेना ए मालिक, की तेरे दर से उठे न ,और सर कही गुप्तरत्न का झुकें न ए मालिक
आपके लिए
भावनायों के समन्दर में ,
ख़ामोशी की गहराई में ,