shabd-logo

common.aboutWriter

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

gurmukhsingh

gurmukhsingh

0 common.readCount
5 common.articles

निःशुल्क

निःशुल्क

gspahwa

gspahwa

पर्यावरण प्रदूषण एवं भूमंडलीय परिवर्तनों पर लेख एवं विचार आमंत्रित हैं।

0 common.readCount
0 common.articles

निःशुल्क

gspahwa

gspahwa

पर्यावरण प्रदूषण एवं भूमंडलीय परिवर्तनों पर लेख एवं विचार आमंत्रित हैं।

0 common.readCount
0 common.articles

निःशुल्क

gurmukgsingh

gurmukgsingh

0 common.readCount
0 common.articles

निःशुल्क

निःशुल्क

common.kelekh

मशरुफ़ रहने का अंदाज़ >>>>>>>>>>> गतान्क से आगे

25 अक्टूबर 2015
0
0

फलस्वरूप क्षणे क्षणे रिश्तो में दुरिआ बन जाती हैं. समझा जाता है की बड़े  परिवारो में रिश्तओ के बंधन मजबूत होते है लेकिन ऐसा अब कम ही देखने को मिलता है सन्युक्त परिवारो में भी रिश्तो नातो का महत्व कम होता जा रहा है वहा भी द्वेष स्वार्थ स्पर्धा सम्बन्धो की डोर को ढीला करने अथवा तोड़ने की मुख्य भूमिका नि

मशरुफ़ रहने का अंदाज़ >>>>.......>>>>> गतांक से आगे >>>>>>>>>>>>>>

22 अक्टूबर 2015
1
1

फलस्वरूप परिवार बिखरने लगते हैं। आधुनिकता की चकाचोंध में खो जाने के लिए परिवारो को छोड़ कर परिवार के युवा सदस्य पलायन कर रहे है जिससे छोटे परिवार बाहर जा कर स्थापित होते है एवं पुनः स्थापित होने के लिए संघर्षरत हो जाते है। अपने आपको स्थापित करने के लिए पीछे छूटे रिश्तो पर समय की धुंध चने लगती है। उसे

मशरूफ रहने का अंदाज़ , तुम्हे तन्हा न कर दे ग़ालिब , रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं। [ग़ालिब]

13 अक्टूबर 2015
2
3

रिश्तो का महत्व सदीओ से चला आ रहा है अपितु यूँ कह  सकते सकते हैं कि रिश्तो की नीव पर ही सामाजिक दुनिआ आधारित है। रिश्ता माँ बाप ,भाई बहन ,पति पत्नी ,दोस्त अथवा पडोसी का ही क्यों न हो प्रतेक रिश्ते का अलग और अपना महत्व है। वर्तमान परिवेश एवं भाग दौड़ की जिंदगी में रिश्ते निर्वहन के तरीको में कुछ परिवर

मशरूफ रहने का अंदाज़ , तुम्हे तन्हा न कर दे ग़ालिब , रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं। [ग़ालिब]

13 अक्टूबर 2015
5
5

रिश्तो का महत्व सदीओ से चला आ रहा है अपितु यूँ कह  सकते सकते हैं कि रिश्तो की नीव पर ही सामाजिक दुनिआ आधारित है। रिश्ता माँ बाप ,भाई बहन ,पति पत्नी ,दोस्त अथवा पडोसी का ही क्यों न हो प्रतेक रिश्ते का अलग और अपना महत्व है। वर्तमान परिवेश एवं भाग दौड़ की जिंदगी में रिश्ते निर्वहन के तरीको में कुछ परिवर

मशरूफ रहने का अंदाज़ , तुम्हे तन्हा न कर दे ग़ालिब , रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं। [ग़ालिब]

13 अक्टूबर 2015
2
0

रिश्तो का महत्व सदीओ से चला आ रहा है अपितु यूँ कह  सकते सकते हैं कि रिश्तो की नीव पर ही सामाजिक दुनिआ आधारित है। रिश्ता माँ बाप ,भाई बहन ,पति पत्नी ,दोस्त अथवा पडोसी का ही क्यों न हो प्रतेक रिश्ते का अलग और अपना महत्व है। वर्तमान परिवेश एवं भाग दौड़ की जिंदगी में रिश्ते निर्वहन के तरीको में कुछ परिवर

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए