मशरूफ रहने का अंदाज़ , तुम्हे तन्हा न कर दे ग़ालिब , रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं। [ग़ालिब]
रिश्तो का महत्व सदीओ से चला आ रहा है अपितु यूँ कह सकते सकते हैं कि रिश्तो की नीव पर ही सामाजिक दुनिआ आधारित है। रिश्ता माँ बाप ,भाई बहन ,पति पत्नी ,दोस्त अथवा पडोसी का ही क्यों न हो प्रतेक रिश्ते का अलग और अपना महत्व है। वर्तमान परिवेश एवं भाग दौड़ की जिंदगी में रिश्ते निर्वहन के तरीको में कुछ परिवर