हे भागीरथी मंदाकिनी धुवनंदा सुर सरि माता
दरस परस जलपान करात नर भौसागर तरजाता
देव दनुज दानव नर किन्नर गाएं मिलकर संगै
हर हर गंगे हर हर गंगे हर हर हर हर गंगे
ब्रह्म कमंडल से निकली मां हरि चरण में आईं
कल कल निर्मल धारा तेरी शिव की जटा समाई
आईगिरी हिमगिर पर कल कल करती तेरी तरंगे
हर हर गंगे हर हर गंगे
सफल हुआ भागीरथ का तप तुमने कृपा दिखाई
60 सहस्त्र सगर पुत्रों जब है मुक्ति दिलाई
तेरी जो शरणागत होता उसके भय भव भांजे
हर हर गंगे हर हर गंगे