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मैं उपेंद्र कुमार दुबे मूलतः कवि एवं गीतकार हूं।

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काव्य तरंग

काव्य तरंग

प्रिया पाठक , हम आपके सदा आभारी रहेंगे कि आप मेरी कविताओं को पढ़ने के लिए समय निकाल रहे हैं परंतु मेरा यह प्रयास है कि आपका समय जाया ना हो अतः हमने अपनी पुस्तक:-[ काव्य तरंग :-)में प्रेम, वीरता, वियोग जैसे अनेक विषयों को ध्यान में रखकर यह पुस्तक लिख

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काव्य तरंग

काव्य तरंग

प्रिया पाठक , हम आपके सदा आभारी रहेंगे कि आप मेरी कविताओं को पढ़ने के लिए समय निकाल रहे हैं परंतु मेरा यह प्रयास है कि आपका समय जाया ना हो अतः हमने अपनी पुस्तक:-[ काव्य तरंग :-)में प्रेम, वीरता, वियोग जैसे अनेक विषयों को ध्यान में रखकर यह पुस्तक लिख

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हे राष्ट्र विरोधी कंश

24 नवम्बर 2022
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हे राष्ट्र विरोधी कंस , बहुत पछताएगा तेरा कृष्ण करेगा विध्वंश न तू बच पाएगाजब देश हमारा एक सूत्र में बांधने लगाक्यों कट्टर पंथी देख देख के जलाने लगानफ़रत का जहर गर मुल्क में तू फैलाएगातू उस

तो क्या होगा

24 नवम्बर 2022
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तुम्हे हम भी सताने पर उतर आएं तो क्या होगातुम्हारा दिल दुखने पर उतर आएं तो क्या होगाहमे बदनाम कररहे हो नाजाने महफिलों में क्यूंअगर हम सच बताने पर उतर आएं तो क्या होगा

ऐ सहोदर

14 अक्टूबर 2022
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ऐ सहोदर द्वेष कैसा,प्रेम सरिता में बहोमातृ निर्मल प्रेम को, कुछ मै गहू कुछ तुम गहोपिता कुंठित रो रहा है, उसका गौरव खो रहा है।टूट गया सपना सुनहरा, तू अभी तक सो रहा है।मेरे अग्रज जनक हित, कुछ मै साहू कु

मां

14 अक्टूबर 2022
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सुना सुना लगे जग सारा, कोई ना मेरा यहां संगी साथी ना कोई सहारा,तुझको ढूंढू कहां मुझको अपना तो आंचल उड़ा दे लोरी गा गा के मुझको सुला देआऊंगा तू है जहां मोरी मैया तुझको ढूंढूं कहांकरदे ख

हर हर गंगे

14 अक्टूबर 2022
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हे भागीरथी मंदाकिनी धुवनंदा सुर सरि मातादरस परस जलपान करात नर भौसागर तरजातादेव दनुज दानव नर किन्नर गाएं मिलकर संगैहर हर गंगे हर हर गंगे हर हर हर हर गंगेब्रह्म कमंडल से निकली मां हरि चरण में आईंक

उनसे क्या अभिलाषा होगी

21 मार्च 2022
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कायरता के दत्तक है जोबिना लड़े नतमस्तक है जोकरते है याश गान शत्रु काजिनमे घोर निराशा होगीउनसे क्या अभिलाषा होगीनिज पौरूष का भान नहीं है उन्हें कहीं सम्मान नहींअपमानित होते रहते हैंजिन्हें न कुछ ज

बिना मतलब यहां

19 मार्च 2022
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बिना मतलब यहां रिश्ता किसी से कौन रखता हैजलाते हैं यहां सब लोग मरहम कौन रखता हैयहां गुरु द्रोणा है यह मांग लेते हैं अंगूठे को मगर एकलव्य बन जाए ये गौरव कौन रखता हैयहां गम का अंधेरा था उजाला

हाल-ए-दिल सुनाती रही

19 मार्च 2022
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हाले दिल सुनाती रही ये नजरें दिल की तस्वीर दिखाती रही फिर भी यकीन नहीं आया उनको पल-पल वह मुझे सताती रहीइंतहा इश्क की डगर पर मैं चलता रहाहर घड़ी वो मुझे आजमाती रहीउनसे पूछा गया था जो मेर

आया हूं मैं साकी

19 मार्च 2022
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लेकर आया हूं मैं साकी कुछ फरियादें अब की शाम टूटा है दिल बिखर न जाए देना कोई ऐसा जाम होता है बेदर्द जमाना कैसे तुमको बतलाऊं हरा भरा है जख्म हमारा कैसे तुमको दिखलाउं आती है वह

शारदे मां शारदे मां

19 मार्च 2022
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शारदे मां शारदे मां लेखनी में धार दे मां....मूड सुत की कल्पना को एक नया आधार दे मांवासना में लिप्त है जन जल रहा साहित्य का तनतेरे सच्चे सूत् दुखी हैं सत्य पथ आधार दे मांशारदे

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