राहुल
खटे,
उप
प्रबंधक (राजभाषा),
स्टेट
बैंक ऑफ मैसूर,
हुब्बल्ली
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आज का युग तकनीक का है, जिसे "टेक्नोयुग" भी कह सकते हैं, इसलिए आपने देखा होगा कि हम प्रत्येक काम में टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पर पहले जैसा आज-कल कोई भी 25 पैसों वाला पोस्ट कार्ड या 75 पैसों वाला अंतर्देशीय पत्र खरीद कर लिखने की बजाय हम मोबाइल एसएमएस या ई-मेल टाइप कर चुटकियों में अपना काम निपटाने में माहिर हो गए हैं। बच्चे भी आज-कल अपनी पढ़ाई ई-लर्निंग और क्लासेस के माध्यम से पूरी करने लगे हैं, कुल मिला कर देखें तो हम अब टेक्निकली स्मार्ट बन गए है या कुछ इस रास्ते पर चल रहे हैं। और इन सब में हमारी नई पीढ़ी हमसे और तेजी से दौड़ रही है।
अब इसी तकनीक को थोड़ा भाषा के साथ जोड़कर देखते हैं। आज कल सभी कंप्यूटर टाइपिंग आसानी से कर लेते है, जैसे ई मेल भेजना, खोलना आदि। मुझे याद है जब सबसे पहले मैंने कंप्यूटर पर अपना नाम टाइप करके देखा था तब मैंने अंग्रेजी में ही किया था, क्योंकि हिंदी या मराठी में यह सुविधा उपलब्ध होगी ही नहीं यह मानकर हमने कंप्यूटर और मोबाइल पर अंग्रेजी की-बोर्ड को देखकर अंग्रेजी में काम करना शुरू किया था, लेकिन जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए वैसे वैसे तकनीकी की नई बातें पता चलती गई। वर्ष 2007 में जब मैंने खादी और ग्रामोद्योग के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय में कनिष्ठ हिंदी अनुवादक के रूप में काम करना शुरू किया तब सबसे पहले मैंने हिंदी में कंप्यूटर पर काम करने का अभ्यास शुरू किया। इसके पहले मैंने टाइप राईटर पर 25 शब्द प्रति मिनट की मराठी भाषा की टायपिंग की परीक्षा पास भी की थी। आगे जब मुंबई के मुख्यालय में मेरा स्थानांतरण हुआ तब वर्ष 2010 में सबसे पहले यह पता चला की हिंदी(देवनागरी) के फॉन्ट दो प्रकार के होते हैं- यूनिकोड और नॉन-यूनिकोड। इसके बाद मुझे "माइक्रोसॉफ्ट इंडिक लैग्वेज इनपुट टूल" के बारे में पता चला जो विंडोज एक्सपी और विडोंज7 में चलते थें। बाद में बैंक में पोस्टिंग मिलने पर कंप्यूटर पर अनिवार्य तौर से यूनिकोड में काम करना शुरू किया। इसके बाद कंप्यूटर पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में काम कैसे करें इसपर मुझे अधिक जानकारी मिलनी शुरू हुई। माइक्रोसॉफ्ट इंडिक लैंग्वेज इनपुट टूल की सहायता से वह व्यक्ति भी हिंदी और अन्य भारतीय भधाओं में आसानी से काम कर लेता है। यह टूल सभी एप्लिकेशन पर सफलता से कार्य करता हैं, और अंग्रेजी कीबोर्ड के उपयोग के कारण यह प्रयोग करने में भी सरल है। इसके बाद गूगल हिंदी इनपुट जो अंग्रेजी कीबोर्ड की सहायता से चलता हैं के बारे में पता चला। फिर इन् स्क्रीप्ट और बराह आदि की जानकारी से कंप्यूटर पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध विविध भाषा सुविधा के बारे में पता चला।
हिंदी भाषा की विशेषता यह हैं कि यह एम सर्वसमावेशी भाषा हैं, इसमें संस्कृत से लेकर भारत की प्रांतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषाओं के शब्दों का अपने अंदर समा लेने की क्षमता हैं। तकनीकी के इस युग में हिंदी ने भी अपने परंपरागत रूप को समय के अनुरूप ढाल लिया है। कंप्यूटर के साथ हिंदी भाषा ने अपना चोली-दामन का साथ बना लिया हैं आज तकनीक के प्रत्येक क्षेत्र में हिंदी को अपनाना आसान हो गया हैं। टायपिंग की सुविधा से लेकर वॉइस टायपिंग की सभी सुविधाऐं आज उपलब्ध है। आवश्यकता केवल इस नवीनतम तकनीक को हिंदी भाषा के उपयोगकर्ताओं को अपनाने की हैं। ओसीआर अर्थात ऑप्टीकल कैरेक्टर रेक्गीशन अर्थात प्रकाश द्वारा वर्णों की पहचान कर पूराने देवनागरी हिंदी टेक्स को युनिकोड फॉंन्ट में परिवर्तित करने की सुविधा से पूरानी किताबों का डिजीटलाइजेशन करने में सहायता हो रही हैं, इससे संस्कृत भाषा में लिखे गये लेख सामग्री को आसानी से हिंदी के युनिकोड फॉन्ट में परिवर्तित किया जा सकता हैं। इससे पूराने शास्त्र, ग्रंथों के डिजीटलाइजेशन से ज्ञान के संवर्धन में भी दिशा मिल रही हैं। प्राचीन ग्रंथों की दूर्लभ प्रतियों का डिजीटलाइजेशन करने से उसमें उपलब्ध ज्ञान का फायदा सभी हो होगा।
भारत सरकार ने हिंदी में विज्ञान न तथा तकनीकी साहित्य और शब्दावलियाँ उपलब्ध हो इसलिए वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग की स्थापना की हैं जिसका कार्य ज्ञान-विज्ञान तथा तकनीकी क्षेत्रों में प्रयोग में आने वाले शब्दों का हिंदी पर्याय उपलब्ध कराने वाले शब्दकोशों का निर्माण करना है। यह आयोग ज्ञान-विज्ञान की लगभग सभी शाखाओं से संबंधित शब्दावलियों का निर्माण करती है। यह आयोग हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के विकास और समन्वय से संबंधित सिद्धांतों का वर्णन और कार्यान्वयन का कार्य करता है। राज्यों में विज्ञान की विविध शाखाओं के द्वारा वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के क्षेत्र में किए गये कार्य का राज्य सरकारों से सहमति से उनके अनुरोध पर शब्दावलियों को अनुमोदन भी प्रदान करती है। आयोग द्वा तैयार की गई शब्दावलियों का आधार लेकर विभिन्न विषयों की मानक पुस्तकों और वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दकोशों का निर्माण करना और उसका प्रकाशन करने करने का कार्य वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग करता है। साथ उत्कृष्ठ गुणवत्ता की पुस्तकों का अनुवाद भी किया जाता हैं।
राजभाषा हिंदी के प्रयोग को बढाने में ऑनलाइन हिंदी पुस्तकों को पढने की सुविधा जैसे गूगल बूक्स और कींडल बूक्स आदि ऑनलाईन सुविधाओं की सहायता से आप अपनी पुस्तक के कुछ अंश मुफ्त में अथवा पैसों का भुगतान कर अपने मोबाईल पर ही पढ़ सकते हैं। गूगल बूक्स पर आप अपनी मनपंसद पुस्तक के कुछ अंश पढ़ सकते हैं। इन पुस्तकों को आप कंप्यूटर लैपटॉप पर गूगल डाउनलोडर की सहायता से पीडीएफ फाईल में डाउनलोड करके रख सकते हैं, उन्हें बाद में पीडीएफ फाईल में पढ भी सकते हैं। गूगल वॉइस सर्विस की सहायता से आप बोलकर टाइप होने वाली सुविधा से पाठ को पढकर टाइप करवा सकते हैं। इस सुविधा से हिंदी टायपिंग के लिए लगने वाले समय में बचत होती है। एन्ड्रॉइड मोबाइल पर हिंदी की ऑफलाइन शब्दावली का प्रयोग की सुविधा से अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं के शब्दों के हिंदी शब्दार्थ ढूंढने में भी सहायता मिलती हैं। इससे हिंदी के तकनीकी विकास को और भी गति मिलेगी।