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हमारी अपनी गलती और अपना नुकसान

26 जनवरी 2015

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हमारा भारत देश संसार का सबसे अच्छा देश है | लेकिन कुछ चंद लोगो ने इस देश को बहुत पीछे कर किया है | देश तब पीछे होता है जब उस देश में धर्म , संस्कृति , भाषा और मानवता का नाश होता है | आज हमें ऎसे साधन उपलब्ध करा दिए गए हैं जो हमें गलत दिशा में लिए जा रहे हैं | इनमे से ही एक है हिंदुस्तान की फिल्म इंडस्ट्री जो अंग प्रदर्शन करके भारत के अधिकांश युवा को नपुंसकता की गटर में गैर रही है | बच्चा युवा नहीं हो पता , उससे पहले ही उसे वो साधन उपलब्ध हो गए जिससे उसके चरित्र और पौरुष दोनों नष्ट हो रहे है | जिनसे सीखने के लिए मिलता था वो तो अधिकांश ने अलमारी में सजा के रख दिए हैं | अब रामायण , श्रीमद्भागवत गीता , श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए समय नहीं है परन्तु फिल्म देखने के लिए प्रतिएक युवा के पास भरपूर समय है | जो सच्चा मार्गदर्शक है उन्हें हम सब भूलते जा रहे है और जो हमें विनाश की तरफ ले जा रहा है उसको ही अपना लिया | एक समय था की जब २० - २० वर्ष के बच्चे अपने पड़ोस के बच्चो के साथ खेलते थे | क्यों खेलते थे जानते है आप क्योंकि उन्हें ये पता ही नहीं है की एक महिला और पुरुष के बीच में क्या सम्बन्ध होते हैं | आज १० वर्ष के बच्चे को सब प्रकिर्या का पता है | अंत में मेरा आप सब से निवेदन है की अपने बच्चो को रामायण , गीता , श्रीमद्भागवत कथा आदि शास्त्र पढाये न की उन्हें फिल्म दिखाए , १० वर्से के बच्चे को स्मार्ट फोन न दे , उन्हें अपने भारत के वीरो की कहानी सुनाये न की उन हीरो को दिखाए या सुनाये जिनकी वझे से आपका बच्चा चरित्रहीन हो गया है देखने के लिए रामायण , कृष्ण लीला , महाभारत आदि पुराण हैं | सुनने के लिए इस देश के वीरो की कहानी बहुत महान हैं || कहीं लिखने में गलती हो गयी हो तो माफ़ करना जी | ​जय राधेश्याम जी
नवीन

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aapne bilkul sahi bat kahi hai

14 मार्च 2015

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हमारी अपनी गलती और अपना नुकसान

26 जनवरी 2015
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हमारा भारत देश संसार का सबसे अच्छा देश है | लेकिन कुछ चंद लोगो ने इस देश को बहुत पीछे कर किया है | देश तब पीछे होता है जब उस देश में धर्म , संस्कृति , भाषा और मानवता का नाश होता है | आज हमें ऎसे साधन उपलब्ध करा दिए गए हैं जो हमें गलत दिशा में लिए जा रहे हैं | इनमे से ही एक है हिंदुस्तान की फिल्म इं

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कृष्णा के दीवाने

14 मार्च 2015
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पुनरपी जननं पुनरपी मरणनम पुनरपी जननी जठहरे सयनम ? अर्थ - बार बार जनम लेना, बार बार मरना, बार बार माता के गर्वे में आना. इसलिए तो इंसान की उत्पत्ति नहीं हुई है. मात्र इंसान योनि में ही मनुसिये मोक्स प्राप्त कर सकता ही वार्ना यही भटकता रहेगा बेचारा जीव आत्मा.

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सुख और दुःख क्या है

14 मार्च 2015
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सुख के माथे सिल पड़े जो हरी हिरदिये से जाय ...... बलिहारी व दुःख की जो पल पल नाम जपाये ......... जय श्री राधेश्याम

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