सदा सहज हो जीवन दाता कटुटा ना अपनाऊँ मानवता हित सदा समर्पित का जीवनदर्शन अपनाऊँ । जिस हित बना बना राष्ट्र यह उस हित बलि बलिदान सदा अपने को पाऊँ नाथ मालिक ईश है सृष्टा उसकी मर्जी पर चल पाऊँ नारी सम्मान सतत् जीवन माता का जीवन भारी भार ऋण से सदा ऋणी जीवन कैसे ऋण उतारू तेरी ममता सी आचल में शिशु मन करता क्रन्दन , सहज स्नेह लुटा दे माँ अब भी मैं बेटा तेरा