shabd-logo

न जाने कब समझेंगे लोग

12 नवम्बर 2017

91 बार देखा गया 91



तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई आँख मिलाकर बात करने की, अपनी औकात मत भूलो कि तुम क्या हो! लड़की हो लड़की की तरह रहो, ज्यादा जुबान न चलाओ।


क्या ज़रूरत है तुम्हे पढ़ने की,अच्छे से घर मे तुम्हारा ब्याह तो हो ही जाएगा, कुछ यूं ही हमारा समाज लड़कियों को मानशिक बेड़ियों से जकड़ देता है।

उसके सपनो के कोई मायने नही होते क्योंकि सपने देखने का हक़ तो सिर्फ बेटों को है, और इसी तरह उनकी सारी ख्वाहिशे, पिंजरे में कैद उस पंछी की तरह सिमट जाती है, जिसे घर की सजावट के लिए उसका ख्याल तो रखा जाता है लेकिन उसकी ख़्वाहिशों का कोई मायना नही होता।


दरअसल बेवजह के मुद्दों पर बहस तो हम सब करते हैं पर ऐसे सामाजिक मुद्दों पर बात करना बेवकूफी समझते है, पिछले साल एक क्लीनिक के पीछे बहते गंदे नाले में 50 भ्रूण तैरते मिलें, हाँ ऐसा कह सकते है कि 50 बेटियों का कोख में ज़िंदा मार दिया गया, तब कितनी आवाज़े उठी, फ़िज़ूल मुद्दें है।


हमारी सोच का दायरा क्या है? हम धार्मिक मुद्दों पर बहस करते है- पर बेटियों का तो कोई धर्म नही होता, तभी शायद हम ढोंगी ख़ामोश हो जाते हैं। यही हमारा दोगला चरित्र है।

अभिषेक दिवाकर (abskDwkr)✔🏆 की अन्य किताबें

1

भारत की सबसे बड़ी कमजोरी

6 नवम्बर 2017
0
2
2

जब तक लोग धर्म के पीछे अंधे होकर पड़े रहेंगे देश और समाज उस तेज़ी से विकास करने में सफल नहीं हो सकता है। जहाँ पे चुनाव भी मंदिर और गाय के नाम पर लड़े जाते वहाँ पर विकास का मुद्दा कहीं पीछे ही रह जाता है। समस्या तो इन समाज के लोगों में ही है जो धर्म को सब कुछ मानते हैं और उसमे ही फसे पड़े हैं जिसक

2

सच में, एकलव्य महान ही रहा होगा

12 नवम्बर 2017
0
0
3

द्रोणाचार्य जैसे महान गुरु का नाम तो सुना ही होगा, तो उनकी महानता ये है कि वो लालची और धूर्त ब्राह्मण था। उसने सिर्फ अर्जुन को ही महान धनुर्धर इसीलिए बनाना चाह रहा था क्यों कि उसको उसको इसका इल्म था कि राजा का बेटा अर्जुन बहुत महान योद्धा बन जाएगा तो राजा जरूर बनेगा जिससे मेरा भी मान, कद और राजा को

3

न जाने कब समझेंगे लोग

12 नवम्बर 2017
0
0
0

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई आँख मिलाकर बात करने की, अपनी औकात मत भूलो कि तुम क्या हो! लड़की हो लड़की की तरह रहो, ज्यादा जुबान न चलाओ। क्या ज़रूरत है तुम्हे पढ़ने की,अच्छे से घर मे तुम्हारा ब्याह तो हो ही जाएगा, कुछ यूं ही हमारा समाज लड़कियों को मानशिक बेड़ियों से जकड़ देता है।उसके सपनो के कोई मायने नही होते क

---

किताब पढ़िए