न जाने कब समझेंगे लोग
तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई आँख मिलाकर बात करने की, अपनी औकात मत भूलो कि तुम क्या हो! लड़की हो लड़की की तरह रहो, ज्यादा जुबान न चलाओ। क्या ज़रूरत है तुम्हे पढ़ने की,अच्छे से घर मे तुम्हारा ब्याह तो हो ही जाएगा, कुछ यूं ही हमारा समाज लड़कियों को मानशिक बेड़ियों से जकड़ देता है।उसके सपनो के कोई मायने नही होते क