हमारी नजर से... ऐसा देश है मेरा...
जहाँ बेटों पर नाज हर माँ को
माँ और पत्नियों ने तिलक करके फौजियों कोकिया विदा
Shyamvir Singh jadaun
http://sefty100.blogspot.com/2016/10/blog-post_10.html
नमन ऐसी माँ को. जिसने ऐसे मुश्किल हालात में कलेजे के टुकड़े को सीने से लगाया लेकिन उसके ललाट पर रोली से तिलक कर विदा किया. और चलते-चलते बेटे से वचन भी लिया कि दुश्मन के सीने में एक गोली उसके नाम की मारना. मेरा सलाम उस पत्नी को भी है, जो महीनों से हमसफ़र का इंतजार कर रही थी. कि अब वे जल्द छुट्टी पर घर आ जाएंगे. दोनों बातें करेंगे. घूमेंगे-फिरेंगे. न जाने कितने सपने उसने अपनी आँखों सजा रखे थे लेकिन बस एक फोन से चूर हो गए. शाबाशी उस पत्नी और उसके बच्चों को भी जो जी भरकर अभी घर आये पति और पिता से बात ही नहीं कर पाए थे की छुट्टी निरस्त होनें की खबर आ गई. इससे वे निराश हुए लेकिन फिर फौजी को खुशी-खुशी विदा किया. मेरा दिल और दिमाग से परिजन को भी नमन है, जिनकों खुद से ज्यादा सीमा के पहरेदार पर भरोसा है.
आज देश में आतंकवाद का रावण कोहराम मचा रहा है. फिर भी हमारे जनप्रतिनिधि सुधर नहीं रहे हैं. वे खुले मंच से शहीदों की शहादत पर ही राजनीत की रोटियां सेंक रहे है. खैर जो करेगा सो भरेगा. मैं अपनी मूल बात पर आता हूँ. हम ऐसे देश में रहते हैं, जो वीरों की भूमि है. आज सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर राजनेता भले ही सरकार से सबूत मांग रहे हों लेकिन सीमा पर तनाव के हालात देख हर फौजी का परिवार चिन्तित हैं . पिछले दिनों छुट्टियां निरस्त होने की खबर आई तो ये परिवार जज्बे से भर उठे. जो बेटा छुट्टी पर घर आया था, उसे गर्व से भरी मां ने ललाट पर आशीर्वाद का टीका लगाकर भेजा. कहा, जाओ बेटा.. सरहद को तुम्हारी जरूरत है. सरहद ही तो फौजी का असली घर है.
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सीमा पर डटे सैनिकों की स्वीकृत छुट्टियां रद्द कर दी गई थी और जो घर पहुंच चुके थे, उन्हें भी वापस बुला लिया गया था. इनमें कुछ तो घर पर एक दिन भी नहीं रुक पाए और लौटना पड़ा. कुछ रास्ते से लौट गए, कुछ को घर पहुंचते ही छुट्टी निरस्त होने का संदेश मिला.
मां बोली, एक गोली मेरी तरफ से भी मारना
जयपुर में खातीपुरा निवासी सेना के घातक कमांडो जितेन्द्र सिंह शेखावत कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर अल्ताफ बाबा को मार गिराने वाले ऑपरेशन में शामिल थे, जिसके लिए उन्हें सेना अवॉर्ड मिल चुका है. सितंबर के पहले हफ्ते में छुट्टी पर आए थे. जाते वक्त मां ने ललाट पर टीका लगाया.आशीर्वाद दिया और कहा, फौजी का असली घर सरहद ही होती है. सीमा पर जाकर दुश्मन से डटकर मुकाबला करना. एक गोली मेरी तरफ से भी मारना. जितेन्द्र के परिवार से अन्य लोग भी सेना में रहे हैं.
आप बहन की शादी संभालो, मैं देश की सीमा
भरतपुर के भुसावर निवासी पैरा कमांडो राहुल सिंह चौहान की पोस्टिंग उरी के पास बांदीपुर में है. नवम्बर में बहन की शादी है इसलिए १० अक्टूबर को छुट्टी पर घर आने वाले थे. दीपावली अपनों के साथ मनाते . किसान पिता रामवीर सिंह ने बताया, राहुल ने 15 दिन पहले फोन पर सूचना दी थी कि सीमा पर तनाव बढ़ गया है, मैं घर नहीं आ पाऊंगा.आप लोग परेशान न हों, आप बहन की शादी धूमधाम से करना, मैं यहां सीमा संभालता हूं. इस पर रामवीर ने राहुल से कहा था, घर आने को जिंदगी पड़ी है बेटा, अभी देश को जरूरत है.
जिसके लिए सेना में भर्ती हुआ, वह मौका आ गया
जयपुर के भांकरोटा निवासी सेना में कैप्टन सूरजसिंह राठौड़ वैसे मूलतः नागौर जिले के गाँव कोलाडूंगरी के रहने वाले हैं. आगामी 11 नबंवर को भाई की शादी है. उन्हें दीपावली पर ही घर आने वाले थे, उन्हें छुट्टी मिल गई थी. ऐनवक्त पर छुट्टियां रद्द हो गई. सूरज ने परिजनों से कहा, निराश न हों. जिस मकसद से सेना में भर्ती हुआ था, उसे पूरा करने का समय आ गया है. उनकी मां का कहना है कि मैं फौजी की पत्नी हूं, सब जानती हूं, अब मेरा लाल भी बड़ा हो गया है...