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इन बंज़र आँखों में समंदर कल भी था और आज भी हैप्यास से मरना मेरा मुक़द्दर कल भी था और आज भी हैकोई इलाज-ए-ज़ख्म-ए-दिल वो ढूँढ न पाया आज तलकबेबस का बेबस चारागर कल भी था और आज भी हैउसी राह से कितने मुसाफ़िर मंज़िल तक जा पहुँचे, मगरउसी जगह